लोन पर महंगे मोबाइल खरीद रहे लोग, लेकिन... क्या अब EMI पर फोन खरीदना होगा मुश्किल?

मोबाइल फोन फाइनेंसिंग में डिफॉल्ट रेट उम्मीद से काफी ज्यादा बढ़ गया है, जिसके चलते कर्ज देने वाली कंपनियां और बैंक सख्त हो गए हैं। वे अब कुछ इलाकों में लोन देना बंद कर रहे हैं और ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर को लेकर पहले से ज्यादा सावधानी बरत रहे हैं, जिससे EMI पर फोन खरीदना मुश्किल हो सकता है।

Naveen Kumar Pandey
अपडेटेड6 Oct 2025, 11:22 AM IST
स्मार्टफोन लोन पर डिफॉल्ट रेट बढ़ रहा है (AI Image)
स्मार्टफोन लोन पर डिफॉल्ट रेट बढ़ रहा है (AI Image)(Kruit AI)

Smartphone Loan Default Rate India 2025: भारत में हर तीन में से एक स्मार्टफोन EMI या किसी तरह के लोन पर खरीदा जा रहा है। ब्रांड्स भी ग्राहकों को महंगे फोन खरीदने के लिए लगातार लुभावने स्कीम्स का ऑफर दे रहे हैं। लेकिन अब इस ट्रेंड पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। मोबाइल फोन के लिए दिए गए कर्ज नहीं चुकाने (Loan Default) के मामले तेजी से बढ़े हैं। इस वजह से कर्ज देने वाली कंपनियों ने अपने नियम कड़े कर दिए हैं, जिसका असर स्मार्टफोन बाजार पर पड़ना तय लग रहा है।

उम्मीद से ज्यादा बढ़े डिफॉल्ट रेट

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक टॉप स्मार्टफोन ब्रांड के सेल्स एग्जीक्यूटिव ने बताया कि मोबाइल फोन खरीदने के लिए दिए जाने वाले कुल लोन में से हर साल लगभग 2.7% से 2.9% लोग डिफॉल्ट कर रहे हैं। यह आंकड़ा इंडस्ट्री की 2% की उम्मीद से कहीं ज्यादा है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, यह ट्रेंड ऐसे समय में देखा जा रहा है जब हर तीन में से एक स्मार्टफोन क्रेडिट पर खरीदा जा रहा है, क्योंकि कंपनियां ग्राहकों को सस्ते लोन देकर महंगे-मंहगे फोन बेचना चाहती हैं।

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कर्ज देने वाली कंपनियों ने उठाए सख्त कदम

लोन डिफॉल्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए फाइनेंस कंपनियों ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। जिन इलाकों में डिफॉल्ट रेट बहुत ज्यादा है, वहां कंपनियां स्टोर्स की रेटिंग घटा रही हैं। साथ ही, वे सिर्फ अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को ही लोन दे रही हैं। कुछ कंपनियों ने तो ज्यादा जोखिम वाले पूरे पिन कोड को ही ब्लॉक कर दिया है। कर्नाटक जैसे राज्यों में रिकवरी एजेंटों के शाम 6 बजे के बाद कर्ज वसूली पर रोक जैसे नियमों ने भी कंपनियों को और सतर्क कर दिया है।

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कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन ग्रोथ की धीमी पड़ी रफ्तार

इस तनाव का असर बाजार पर साफ दिख रहा है। RBI से लाइसेंस प्राप्त क्रेडिट ब्यूरो CRIF हाईमार्क के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन की ग्रोथ काफी धीमी हो गई। इसमें स्मार्टफोन लोन भी शामिल है।

इस साल इन लोन्स की वैल्यू में सिर्फ 3.3% की बढ़ोतरी हुई और यह 1.6 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 2024 में इसमें 18% की शानदार बढ़ोतरी देखी गई थी। आमतौर पर, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में करीब एक चौथाई हिस्सा स्मार्टफोन्स का होता है। ज्यादातर लोन 10,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच के होते हैं, हालांकि अब धीरे-धीरे लोग 25,000 रुपये से 50,000 रुपये तक के फोन के लिए भी लोन ले रहे हैं।

छोटे लोन में डिफॉल्ट का खतरा ज्यादा

CRIF की जून 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, 180 दिनों से ज्यादा के डिफॉल्ट के मामले वित्त वर्ष 2024 के 1.9% से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 2.1% हो गए हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि छोटे लोन में डिफॉल्ट का खतरा ज्यादा है। 10,000 रुपये से कम के लोन में डिफॉल्ट रेट 2.15% तक है, जबकि 50,000 रुपये से ज्यादा के लोन में यह सिर्फ 1.35% है। इससे पता चलता है कि कम कीमत वाले फोन पर लिए गए लोन ज्यादा डूब रहे हैं।

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ब्रांड्स और रिटेलर्स पर भी बढ़ा दबाव

लोन डिफॉल्ट का बोझ सिर्फ फाइनेंस कंपनियों पर नहीं, बल्कि स्मार्टफोन ब्रांड्स और रिटेलर्स पर भी पड़ रहा है। जब कोई ब्रांड 'नो-कॉस्ट ईएमआई' स्कीम ऑफर करता है तो ब्याज का खर्च उसे खुद उठाना पड़ता है, जो प्रॉडक्ट की कीमत का 6% से लेकर 11% तक हो सकता है।

वहीं, रिटेलर्स पर NBFCs का दबाव रहता है। दिल्ली के एक रिटेलर ने बताया, 'अगर कोई ग्राहक EMI नहीं चुकाता है तो NBFC हमारा ऑपरेशनल कोड ब्लॉक करने की धमकी देती है। कभी-कभी अपना बिजनेस बचाने के लिए हमें डिफॉल्ट करने वाले ग्राहकों की शुरुआती किस्तें खुद भरनी पड़ती हैं।'

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