
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा और कड़ा कदम उठाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने चीनी आयातों पर 100 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी दी है, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इस घोषणा के बाद वैश्विक वित्तीय बाजारों में सुनामी आ गई और एक बड़ी मंदी की आशंका गहरा गई है।
ट्रंप के इस गुस्से की वजह चीन का वो फैसला है, जिसमें उसने 'रेयर अर्थ मिनरल्स' (दुर्लभ पृथ्वी तत्व) के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये ऐसे खनिज हैं जो स्मार्टफोन से लेकर कारों और आधुनिक तकनीक से जुड़े हर उपकरण के लिए बेहद ज़रूरी हैं। चीन इन खनिजों का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है। ट्रंप ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह अपनी इस ताकत का इस्तेमाल दुनिया को बंधक बनाने और शत्रुतापूर्ण रवैया दिखाने के लिए कर रहा है। इसी के जवाब में ट्रंप ने 1 नवंबर, 2025 या उससे पहले चीनी सामानों पर 100% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।
मामला सिर्फ व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कूटनीतिक रिश्तों पर भी इसका असर दिखने लगा है। ट्रंप ने अपनी आगामी दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली मुलाकात को भी एक तरह से रद्द करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि मौजूदा हालात में उन्हें जिनपिंग से मिलने का "कोई कारण नहीं दिखता।" हालांकि बाद में उन्होंने यह भी कहा कि अभी बैठक रद्द नहीं हुई है, लेकिन उनके बयानों से दोनों नेताओं के बीच बढ़ती दूरियों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
ट्रंप की इस घोषणा का असर तुरंत शेयर बाजारों पर दिखा। खबर आते ही अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। S&P 500 इंडेक्स 2.7 प्रतिशत तक लुढ़क गया, जो अप्रैल के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। इस एक झटके ने निवेशकों के खरबों डॉलर डुबो दिए और बाजार में डर का माहौल पैदा कर दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह टैरिफ लागू होता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था एक गंभीर मंदी की चपेट में आ सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप यहीं रुकने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि चीनी सामान पर भारी-भरकम टैरिफ के अलावा अमेरिका महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर के निर्यात पर भी कड़े नियंत्रण लगा सकता है। यह चीन के तकनीकी विकास की रफ्तार पर लगाम कसने की एक कोशिश हो सकती है। कुल मिलाकर, ट्रंप ने चीन को चौतरफा घेरने की तैयारी कर ली है, जिसके दूरगामी परिणाम होना तय है।