
SEBI New Rules: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी (Securities and Exchange Board of India - SEBI) ने शेयर बाजार के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। सेबी ने अनुपालन (compliance) को आसान बनाने और बाजार की दिशा में एक बड़े सुधार के रूप में अपने कदम आगे बढ़ा दिया है। सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों और स्टॉक एक्सचेंजों को लिए कई बड़े सुधारों को अंतिम रूप दे दिया है। सेबी ने स्टॉक ब्रोकर्स पर लागू होने वाले पेनाल्टी फ्रेमवर्क को रैशनलाइज और स्टैंडर्डाइज करने का फैसला लिया है। नए नियमों के तहत अब ब्रोकर्स पर लगने वाले जुर्मानों की संख्या और सख्ती दोनों कम हो जाएगी। सेबी ने यह ऐलान बिजनेस करने में आसानी (Ease of Doing Business) की दिशा में कदम आगे बढ़ाने के लिए किया है।
बिजनेस लाइन में छपी खबर के मुताबिक, सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि नए नियमों को बनाने से पहले नियामक ने स्टॉक ब्रोकर्स से लंबी बातचीत की थी। उनसे सलाह ली गई थी। उसके बाद नए नियम बनाए गए हैं। SEBI ने तय किया है कि ब्रोकर्स की छोटी और मामूली गलतियों को अब ‘Penalty’ के तौर पर नहीं देखा जाएगा। इसके बजाय इन्हें ‘Financial Discrepancy’ यानी वित्तीय असंगति कहा जाएगा। इसका मतलब है कि मामूली चूक पर अब भारी जुर्माना नहीं लगेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेबी की नई व्यवस्था के तहत कुल 235 मौजूदा पेनाल्टी आइटम्स की समीक्षा की गई। इनमें से 40 पेनाल्टी को पूरी तरह हटा दिया गया, जबकि 105 छोटे प्रक्रियागत उल्लंघनों (procedural lapses) और तकनीकी गलतियों (technical errors) को ‘फाइनेंशियल डिसइन्सेंटिव’ (Financial Disincentive) के रूप में क्लासीफाई किया गया है। इसके बाद अब सिर्फ 90 उल्लंघनों पर ही पेनाल्टी लागू होगी। सेबी ने 36 पेनाल्टी में बदलाव किया है। 7 मामलों में पहली गलती पर सिर्फ चेतावनी या सलाह दी जाएगी। 6 मामलों में अधिकतम जुर्माने की सीमा तय की गई है। 29 मामलों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 12 नए पेनाल्टी प्रावधान जोड़े गए हैं।
अक्सर मार्केट में ऑर्डर प्रोसेसिंग या सिस्टम एरर जैसी तकनीकी गड़बड़ियों (Technical Glitches) के कारण ब्रोकर्स पर पेनाल्टी लग जाती थी। नए नियमों के तहत ऐसी तकनीकी समस्याओं पर पेनाल्टी में बड़ी कटौती की जाएगी, जिससे ब्रोकर्स पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा।
सेबी का कहना है कि पेनाल्टी (Penalty) शब्द को अक्सर ‘कलंक’ या ‘सजा’ से जोड़ा जाता है, जिससे ब्रोकर्स की साख पर असर पड़ सकता है। इसलिए तकनीकी या प्रक्रियागत गलती के मामलों में अब ‘पेनाल्टी’ शब्द की जगह फाइनेंशियल डिसइनसेंटिव (Financial Disincentive) शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही सेबी ने यह भी साफ कर दिया है कि एक ही गलती के लिए अलग-अलग एक्सचेंजों द्वारा पेनाल्टी लगाने से बचा जाएगा। अब सेबी की व्यवस्था के अनुसार, लीड एक्सचेंज ही ऐसे मामलों में कार्रवाई करेगा, ताकि ब्रोकर्स को एक ही गलती के लिए कई जगह से सजा न मिले।