सुप्रीम कोर्ट ने Vedanta के खिलाफ वाली PIL की खारिज, वायसराय रिपोर्ट से जुड़ा था मामला

सुप्रीम कोर्ट ने आज वेदांता के खिलाफ एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में अमेरिकी शॉर्ट सेलर वायसराय रिसर्च के आरोपों के जांच की मांग की गई थी।  

Shivam Shukla( विद इनपुट्स फ्रॉम भाषा)
अपडेटेड10 Oct 2025, 04:59 PM IST
वेदांता लिमिटेड
वेदांता लिमिटेड

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खनन सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड खिलाफ एक याचिका को खारिज कर दिया है। इस जनहित याचिका में अमेरिकी शॉर्ट सेलर वायसराय रिसर्च (Viceroy Research) की तरफ से वेदांता ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के जांच की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा, 'भारत के बाहर की कंपनियां इस बात को लेकर इतनी चिंतित क्यों हैं कि हम अपना कामकाज कैसे चलाते हैं?'

इस PIL को शक्ति भाटिया नाम के एक वकील ने दाखिल की थी, जिसे जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने खारिज किया है। इससे पहले सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था कि भाटिया अपनी जनहित याचिका वापस ले लेंगे।

विदेशी कंपनियां कामकाज को लेकर चिंतित क्यों हैं? SC

केंद्र सरकार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वायसराय रिसर्च LLC एक शॉर्ट-सेलर है और याचिकाकर्ता सिर्फ मशहूर होना चाहते हैं। इसके बाद बेंच ने पूछा, 'भारत के बाहर की ये कंपनियां इस बात को लेकर इतनी चिंतित क्यों हैं कि हम अपना कामकाज कैसे चलाते हैं और किस कानून के तहत चलाते हैं?'

ये एजेंसियां विश्वसनीय नहीं: सॉलिसिटर जनरल

मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के तुरंत बाद वायसराय के सेबी चेयरमैन और अन्य अधिकारियों को लिखे गए एक ईमेल का हवाला देते हुए कहा कि इन संस्थाओं की ‘बिल्कुल भी विश्वसनीयता नहीं है। उन्होंने कहा, 'यह एक सुनियोजित तरीका है, जहां बाहरी एजेंसियां रिपोर्ट बनाती हैं और भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं।'

भारतीय बाजार को अस्थिर करने की कोशिश!

वहीं, शंकरनारायणन ने दलील दी कि याचिका में राहत के लिए जो अपील है, वह बहुत सीमित है और इसमें केवल यह आग्रह किया गया है कि SEBI और RBI आरोपों की जांच करें और जरूरी कार्रवाई करें। शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि वह वायसराय के तरीकों का समर्थन नहीं करते हैं और सिर्फ चिंताओं को दूर करना चाहते हैं और सेबी बताई गई अनियमितताओं की जांच कर सकता है। मेहता ने कहा कि ऐसी कंपनियां रिपोर्ट जारी करके और फिर मुकदमेबाजी के जरिए अपने प्रभाव को बढ़ाकर भारतीय कंपनियों और बाजारों को अस्थिर करने की कोशिश करती हैं।

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पहले दो जजों ने सुनवाई से किया मना

गौरतलब है कि बेंच ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता अपनी जनहित याचिका वापस लेना चाहता है, इसलिए अदालत इस पर आगे विचार नहीं करना चाहेगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

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