
Bihar Voter List: बिहार की वोटर लिस्ट में इस बार बड़े बदलाव हुए हैं। लाखों पुराने नाम हटाए गए, लाखों नए नाम जोड़े गए और अब 2025 विधानसभा चुनाव का मैदान इन्हीं 7.42 करोड़ मतदाताओं के भरोसे सजेगा। दरअसल, बिहार में इस बार मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) हुई, जिसमें करीब 68 लाख नाम हटाए गए और 21.53 लाख नए नाम जोड़े गए।
चुनाव आयोग ने बताया कि 24 जून से 30 सितंबर तक चली स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के दौरान वोटर लिस्ट की गहराई से जांच हुई। शुरुआत में इसमें करीब 7.89 करोड़ नाम थे। 1 अगस्त को जब ड्राफ्ट रोल जारी हुआ, तब तक 65 लाख नाम हटाए जा चुके थे। आपत्तियों और क्लेम-ऑब्जेक्शन की प्रक्रिया में और 3.66 लाख नाम कटे। इसी दौरान फॉर्म 6 भरकर 21.5 लाख से ज्यादा नए वोटर्स जुड़े। यह फॉर्म उन युवाओं के लिए है जो 18 साल के हुए हैं या पहले कभी रजिस्टर नहीं हुए थे।
आयोग के मुताबिक, 65 लाख हटाए गए नामों में 22 लाख मृतक, 36 लाख वे लोग थे जो स्थायी रूप से कहीं और शिफ्ट हो गए थे या जिनका पता नहीं मिला। वहीं 7 लाख नाम डुप्लिकेट एंट्री थे।
क्लेम और ऑब्जेक्शन के दौरान चुनाव आयोग ने करीब 3 लाख नोटिस जारी किए। इसमें 2.17 लाख से ज्यादा डिलीशन रिक्वेस्ट और 16.93 लाख इनक्लूजन रिक्वेस्ट मिलीं। 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच ही 16.56 लाख नए फॉर्म 6 आए और करीब 36,000 लोगों ने क्लेम के जरिए नाम जुड़वाने की कोशिश की।
1 से 30 सितंबर तक आए आवेदन अब 1 अक्टूबर से प्रोसेस होंगे। कानून के मुताबिक, वोटर नामांकन बंद होने से 10 दिन पहले तक अपना नाम जुड़वा सकते हैं, और ऐसे नाम सप्लीमेंट्री लिस्ट में जोड़े जाते हैं।
अरवल जिले में 5.11 लाख से बढ़कर 5.23 लाख वोटर्स दर्ज हुए। पटना जिले में 14 विधानसभा सीटों के लिए 1.63 लाख नए नाम जुड़े और अब कुल मतदाता 48.15 लाख हो गए हैं। इन सूचियों को राजनीतिक दलों की मौजूदगी में जारी किया गया।
ये रिविजन विवादों से भी जुड़ा रहा। ADR नामक संस्था की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया पर निगरानी रख रहा है। कोर्ट ने 65 लाख हटाए गए नामों की लिस्ट सार्वजनिक करने को कहा था और इलेक्शन कमीशन ने 56 घंटे में ये डेटा अपलोड किया। हालांकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मजदूर, महिलाएं और कमजोर वर्ग गलत तरीके से बाहर हो सकते हैं।
शुरुआत में आयोग ने 11 डॉक्यूमेंट्स मांगे थे, जिसमें आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड शामिल नहीं थे। इसे लेकर बवाल हुआ। बाद में 9 सितंबर को आयोग ने आधार को 12वें डॉक्यूमेंट के तौर पर मान लिया, हालांकि यह नागरिकता का नहीं बल्कि पहचान का सबूत माना गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की आखिरी सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की है। कोर्ट ने साफ किया है कि अगर वोटर लिस्ट की जांच में कोई गड़बड़ी पाई गई, तो पूरी लिस्ट को रद्द भी किया जा सकता है।
30 सितंबर को प्रकाशित अंतिम वोटर लिस्ट अब 2025 विधानसभा चुनावों का आधार बनेगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और उनकी टीम 4-5 अक्टूबर को बिहार का दौरा करेंगे, जहां सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और मतदाता सूची पर समीक्षा की जाएगी। इसके तुरंत बाद चुनाव शेड्यूल घोषित होने की संभावना है।