
बिहार चुनाव में एनडीए के सभी दलों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। एनडीए के सभी घटक दलों में टिकट बटवारे के मोर्चे पर परिवारवाद नजर आया। खासकर बीजेपी जो हर मोर्चे पर बाकियों से अलग होने का दावा करती है उसने भी टिकट देने के मामले में भाई भतीजावाद का खूब ध्यान रखा है। बीजेपी ने अपनी पहली सूची में 71 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी. जिसमें 11 उम्मीदवारों को भाई भतीजावाद का ध्यान रखते हुए टिकट दिए गए हैं।
पांच बार विधायक और उप वित्तमंत्री रहे अंबिका शरण सिंह के बेटे राघवेंद्र प्रताप सिंह बरहरा के विधायक हैं इन्हें यहीं से दोबारा टिकट मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा झंझारपुर से विधायक हैं इसी सीट से इन्हें टिकट मिला है। पूर्व विधायक बृज किशोर सिंह के बेटे अरुण कुमार सिंह बरुराज से विधायक हैं और यहीं से इन्हें टिकट मिला है, इनके दादा भी विधायक थे। पूर्व विधायक स्वर्गीय नवीन किशोर सिन्हा के बेटे नितिन नबीन बांकीपुर से विधायक हैं और यहीं से उन्हें टिकट मिला है। पूर्व विधायक और सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया के बेटे संजीव चौरसिया दीघा से विधायक हैं और यहीं से इन्हें टिकट मिला है। पूर्व विधायक भूवेंद्र नारायण सिंह के बेटे देवेश कांत सिंह गोरेयाकोठी से विधायक हैं और इन्हें इसी सीट से टिकट मिला है, इनके दादा कृष्णा कांत सिंह भी विधायक थे।
टिकट बटवारे में जेडीयू ने भी परिवारवाद का बखूबी ध्यान रखा है. जदयू की टिकट पर विधायक रहे कई लोगों के परिजनों को टिकट दिया गया। वारिसनगर से प्रत्याशी डॉक्टर मांजरिक मृणाल के पिता अशोक कुमार सिंह विधायक रहे हैं। इस्लामपुर से एक समय विधायक रहे दिवंगत राजीव रंजन के बेटे रुहेल रंजन को इस्लामपुर से टिकट दिया है। चेरिया बरियारपुर से प्रत्याशी अभिषेक कुमार की मां मंजू वर्मा नीतीश सरकार में शिक्षा मंत्री रही हैं। विभूतिपुर से उम्मीदवार रवीना कुशवाहा के पति भी जदयू से विधायक रहे हैं। जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह की बेटी कोमल सिंह को जेडीयू ने गायघाट से टिकट दिया है, जबकि इनकी मां वीना देवी चिराग पासवान की पार्टी से सांसद हैं। कुशेश्वर सीट से प्रत्याशी अतिरेक के पिता भी विधायक रहे हैं।
RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को भी प्रत्याशी बनाया है. स्नेहलता को सासाराम विधानसभा सीट से RLM का प्रत्याशी बनाया गया है। उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए गठबंधन में सिर्फ 6 सीटें मिली हैं जिसमें से एक सीट पर उनकी पत्नी प्रत्याशी हैं बाकि पांच सीटों पर दूसरे उम्मीदवार उतारे गए हैं। कम सीटें मिलने को लेकर उपेंद्र कुशवारा ने नाराजगी भी जतायी थी।
चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती पहले से सांसद हैं अब उन्होंने अपने भांजे को राजनीति में लॉन्च किया है। चिराग ने भांजे सीमांत मृणाल को गरखा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। सीमांत, चिराग पासवान के जीजा और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष धनंजय मृणाल के बेटे हैं।