
भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह का राजनीतिक सफर शुरू होने से पहले ही पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ता दिख रहा है। पत्नी ज्योति सिंह के साथ उनका विवाद अब घर की दहलीज लांघकर सियासी गलियारों में पहुंच गया है। करवाचौथ पर एक तस्वीर से शुरू हुआ ड्रामा इतना बढ़ गया कि पवन सिंह को बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के अपने इरादे से पीछे हटना पड़ा। यह पूरा मामला किसी फिल्मी कहानी जैसा लग रहा है, जहां प्यार, तकरार और सियासत सब एक साथ चल रहा है।
पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं और दोनों करीब डेढ़ साल से अलग रह रहे हैं। इसी बीच, ज्योति सिंह ने करवाचौथ पर पवन सिंह की तस्वीर को चलनी से देखते हुए एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। इस एक तस्वीर ने कई सवाल खड़े कर दिए। सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह ज्योति सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का हिस्सा है? ऐसी अटकलें हैं कि ज्योति खुद आरा से प्रशांत किशोर की पार्टी 'जनसुराज' के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं और शायद पति के खिलाफ ही मैदान में उतरना चाहती थीं।
यह विवाद तब और गहरा गया जब पवन सिंह ने बीजेपी में वापसी की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं से मुलाकात की। उनके बिहार चुनाव लड़ने की खबरें जोर पकड़ने लगीं। ठीक इसी समय, ज्योति सिंह लखनऊ में पवन सिंह के घर पहुंच गईं और कैमरे के सामने रोते हुए आरोप लगाया कि पवन सिंह ने पुलिस बुलाकर उन्हें घर से निकालने की कोशिश की। इस घटना ने पारिवारिक विवाद को एक नया मोड़ दे दिया।
पत्नी के आरोपों के बाद पवन सिंह भी मीडिया के सामने आए। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि ज्योति से उनका विवाद काफी पुराना है और वह अपने पिता के घर रहती हैं। पवन ने सवाल उठाया कि जब उनके चुनाव लड़ने की चर्चा नहीं थी, तब ज्योति उनसे मिलने क्यों नहीं आईं? उन्होंने इमोशनल कार्ड खेलते हुए कहा कि 'महिला की आंखों के आंसू तुरंत समर्थन जुटा लेते हैं, लेकिन मर्द का दर्द किसी को नजर नहीं आता।' हालांकि, ज्योति ने पवन के इन सभी दावों को गलत बताया।
पति-पत्नी के बीच बढ़ते इस सार्वजनिक ड्रामे का सीधा असर पवन सिंह के राजनीतिक करियर पर पड़ा। चौतरफा दबाव और धूमिल होती छवि के बीच पवन सिंह ने ऐलान कर दिया कि वह बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी उनकी पार्टी है और वह इसके लिए काम करते रहेंगे। माना जा रहा है कि यह फैसला पार्टी आलाकमान के निर्देश या पारिवारिक कलह से बचने के लिए लिया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब पवन सिंह का राजनीतिक सपना अधूरा रहा हो। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने उन्हें पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। बाद में, उन्होंने बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह खुद तो हारे ही, एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा की हार की वजह भी बने। उस चुनाव में पवन सिंह दूसरे और कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे थे।
दिलचस्प बात यह है कि काराकाट लोकसभा चुनाव के दौरान ज्योति सिंह ने पवन सिंह का जमकर साथ दिया था और उनके लिए प्रचार भी किया था। लेकिन चुनाव के बाद दोनों के रिश्ते खराब हो गए। पवन सिंह का नाम अभिनेत्री अक्षरा सिंह से जुड़ा और ज्योति का भी एक कथित ऑडियो वायरल हुआ। इसके बाद से दोनों अलग रहने लगे। हालांकि, ज्योति काराकाट इलाके में लगातार सक्रिय रहीं और चुनाव लड़ने की इच्छा भी जता चुकी हैं। अब ऐसा लग रहा है कि पति-पत्नी की यह लड़ाई व्यक्तिगत कम और राजनीतिक ज्यादा हो गई है।