बिहार चुनाव में टिकट के लिए हांफ रहे नेता, अपनी पार्टी छोड़ दूसरों के दरवाजे पर दे रहे दस्तक

Defection in Bihar Election: बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला तेज हो चुका है। अपनी पार्टी में टिकट की गुंजाइशन नहीं बनते देख नेता दूसरों का दामन थाम रहे हैं। इस सिलसिले में महागठबंधन और एनडीए, दोनों गठबंधनों में नेताओं का आने-जाने का क्रम जारी है।

Naveen Kumar Pandey( विद इनपुट्स फ्रॉम एजेंसियां)
अपडेटेड11 Oct 2025, 12:16 PM IST
संतोष कुशवाहा, राहुल शर्मा और अजय निषाद।
संतोष कुशवाहा, राहुल शर्मा और अजय निषाद। (Mint )

Bihar Assembly Election: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही नेताओं के दलबदल का दौर तेज हो गया है। कई नेता अपने पुराने दलों को न केवल छोड़ रहे हैं बल्कि उन पर तीखे हमले भी कर रहे हैं। पूर्णिया से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के दो बार के सांसद रहे संतोष कुशवाहा ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। माना जा रहा है कि उन्हें पूर्णिया जिले की किसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

लोकसभा चुनाव हारने की खुन्नस

कुशवाहा 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनावों में जदयू के टिकट पर जीते थे लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वह निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव से हार गए थे। उन्होंने इस हार के लिए स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जदयू नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था, 'राज्य में पार्टी अध्यक्ष की स्थिति अब मात्र एक चौकीदार जैसी रह गई है।'

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राहुल शर्मा और संजीव कुमार ने भी छोड़ी जेडीयू

कुशवाहा के अलावा जदयू के पूर्व विधायक राहुल शर्मा भी राजद में शामिल हो गए हैं। वह 2015 से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज बताए जाते हैं। उन्हें जहानाबाद जिले की घोसी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें हैं। उधर, लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग गुट) के पूर्व प्रत्याशी अजय कुशवाहा ने भी राजद का दामन थाम लिया।

खगड़िया जिले की परबत्ता सीट से जदयू विधायक डॉ.संजीव कुमार सिंह ने भी पिछले सप्ताह राजद का दामन थाम लिया था। उन्होंने नीतीश सरकार को 'बिहार के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकारों में से एक' बताया। हालांकि, जदयू सूत्रों का कहना है कि सिंह के दल बदलने की असली वजह उनकी सीट पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के भाई को टिकट मिलने की संभावना थी।

मिश्रीलाल यादव ने छोड़ी भाजपा

इधर, बिहार विधानसभा में अलीनगर निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक मिश्रीलाल यादव ने पार्टी छोड़ दी। उन्होंने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र देते हुए कहा कि बीजेपी ने दलितों-पिछड़ों के लिए कभी काम नहीं किया और वो समाजवादी विचारधारा के नेता हैं, इसलिए वो बीजेपी में नहीं रह सकते। मिश्रीलाल यादव ने 2020 का पिछला चुनाव वीआईपी के टिकट पर चुनाव जीता था और बाद में बीजेपी में आ गए थे।

यादव को दरभंगा जिले की सांसद/विधायक अदालत ने 2019 के एक मारपीट मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राज्य विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि, पटना हाई कोर्ट के आदेश पर 22 जुलाई की देर रात विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी करते हुए मिश्रीलाल यादव की सदस्यता बहाल कर दी थी।

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आरजेडी छोड़ने का सिलसिला भी जारी

वहीं, राजद और कांग्रेस के भी कई विधायक भाजपा या जदयू का रुख कर रहे हैं। नेताओं के दल बदलने को लेकर भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, 'अभी महागठबंधन के एक दर्जन विधायक पाला बदलने को तैयार बैठे हैं और हमारे संपर्क में हैं।' इसी बीच, दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर तेज हो गया है। हालांकि किसी भी पक्ष ने अभी अंतिम फार्मूला घोषित नहीं किया है।

भाजपा में शामिल हुए अजय निषाद

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने यह दावा तब किया जब उन्होंने पूर्व सांसद अजय निषाद का पार्टी में स्वागत किया। निषाद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ा था, जब भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, जबकि वह दो बार उसी सीट से भाजपा सांसद रह चुके थे। पूर्व सांसद अजय निषाद ने अपनी पत्नी रमा निषाद के साथ भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक समारोह में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। गुरुवार से अब तक राजद और कांग्रेस के तीन विधायकों ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया है।

किसी गठबंधन में सीटर शेयरिंग फाइनल नहीं

भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, 'बैठकें लगभग पूरी हो चुकी हैं, सीट बंटवारे की अंतिम घोषणा दिल्ली में शनिवार को होगी। इससे पहले नेताओं के आने-जाने का सिलसिला चलता रहेगा।' सूत्रों के अनुसार, राजद गठबंधन में एक मामूली अड़चन बची है क्योंकि मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) अधिक सीट की मांग कर रही हैं।

महागठबंधन में सीटों के लिए सहयोगियों में खींचतान

इधर, माकपा ने घोषणा की कि उसके विधायक सत्येंद्र यादव और अजय कुमार 14 और 16 अक्टूबर को महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करेंगे। यह घोषणा पार्टी महासचिव एमए बेबी की मौजूदगी में की गई। बेबी ने गुरुवार रात देर से तेजस्वी यादव से मुलाकात कर चुनाव रणनीति पर चर्चा की थी।

पार्टी ने कहा कि वह कुल 11 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है, जो पिछली बार (चार) की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। उसने कहा कि शेष सीटों पर फैसला सहयोगियों की सहमति से किया जाएगा। वामपंथी सहयोगी भाकपा भी दो ही विधायक हैं । उसने कहा कि वह 24 सीट पर मजबूत स्थिति में है। भाकपा महासचिव डी. राजा ने बताया कि इन सीट की सूची तेजस्वी यादव को विचारार्थ सौंप दी गई है।

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दो चरणों में मतदान, 14 नवंबर को आएंगे परिणाम

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सीट-बंटवारे की बातचीत दिल्ली में अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि चिराग पासवान ने अपनी शुरुआती 40 सीट की मांग घटाकर लगभग 25 सीट पर सहमति जता दी है। इस विषय पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और चुनाव प्रभारी बीते दो-तीन दिन से चिराग पासवान के साथ बैठक कर रहे थे। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान छह और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।

क्या खुल खिलाएंगे प्रशांत किशोर?

इस बीच, सबकी निगाहें अब प्रशांत किशोर पर हैं, जो शनिवार को राघोपुर (तेजस्वी यादव का गृह क्षेत्र) से अपनी पार्टी के अभियान की शुरुआत करने वाले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि 47 वर्षीय किशोर खुद तेजस्वी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। जन सुराज पार्टी ने गुरुवार को अपने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। जब पत्रकारों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से किशोर की संभावित उम्मीदवारी पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा, 'हम हर कुछ दिनों में नई सूचियां जारी करेंगे। जब राघोपुर की बारी आएगी, तब आपको पता चल जाएगा कि उम्मीदवार कौन होगा।'

की टेकअवेज
  • बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नेताओं के दल बदलने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
  • सीट बंटवारे की बातचीत जारी है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
  • विभिन्न पार्टियों के नेता एक-दूसरे में शामिल हो रहे हैं, जिससे राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं।
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