NSE Faces Cyber Attacks: हर दिन 17 करोड़ साइबर हमलों से जूझता NSE, जानिए कैसे काम करता है इसका डिजिटल कवच

एनएसई प्रतिदिन 17 करोड़ साइबर हमलों का सामना कर रहा है। इसके सुरक्षा उपायों में चौबीसों घंटे काम करने वाली तकनीकी टीमें और साइबर सुरक्षा केंद्र शामिल हैं। हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' में 40 करोड़ हमलों का सामना किया गया था, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ।

Anuj Shrivastava( विद इनपुट्स फ्रॉम भाषा)
अपडेटेड12 Oct 2025, 05:02 PM IST
NSE पर रोजना होते हैं लाखों साइबर अटैक
NSE पर रोजना होते हैं लाखों साइबर अटैक

NSE Faces Cyber Attacks: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को प्रतिदिन लगभग 17 करोड़ साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में निर्बाध परिचालन सुनिश्चित करने को एक्सचेंज को चौबीसों घंटे काम करने के लिए ‘साइबर योद्धाओं’ की एक समर्पित टीम की आवश्यकता होती है।

एनएसई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान एक दिन में सबसे अधिक 40 करोड़ साइबर हमलों का सामना करना पड़ा था। इसे डीडीओएस सिमुलेशन के रूप में डिजाइन किए गया था। हालांकि, साइबर हमलावर कर्मियों, मशीनों और उन्नत प्रौद्योगिकी के समन्वित प्रयासों के कारण कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए।

हर दिन होते हैं करोड़ों साइबर अटैक

एनएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि एक्सचेंज पर हर दिन लाखों साइबर हमले होते हैं। लेकिन हमारी तकनीकी टीमें, उनकी प्रणाली और तकनीक विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके चौबीसों घंटे इन हमलों का मुकाबला करती हैं। उन्होंने कहा कि साइबर हमलों की संख्या प्रतिदिन 15 करोड़ से 17 करोड़ के बीच है, जिससे टीमों और प्रणालियों के लिए यह कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

दोनों साइबर सुरक्षा केंद्रों की तकनीकी टीमें लगातार सक्रिय रहती हैं और वित्तीय बाजार के बुनियादी ढांचे पर बड़े पैमाने पर होने वाले हमलों को बेअसर करने और उन्हें रोकने के लिए उन्नत सॉफ्टवेयर से लैस हैं। अधिकारी ने कहा कि तकनीकी रूप से दक्ष कर्मियों, मशीनों और तकनीक से युक्त मजबूत साइबर सुरक्षा संरचना, एनएसई के संचालन को सुरक्षित बनाती है।

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कैसे रोकते हैं साइबर हमला

एनएसई ने अपने संचालन के लिए मजबूत आंतरिक साइबर सुरक्षा उपाय लागू किए हैं और एनएसई अकादमी के माध्यम से एक साइबर सुरक्षा बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जाता है। अधिकारियों के अनुसार, ट्रेडिंग सदस्यों को नियमित रूप से साइबर सुरक्षा और साइबर-जुझारू क्षमता ऑडिट करवाना पड़ता है, जिसके परिणाम एक्सचेंज को प्रस्तुत किए जाते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था में ई-मेल, बाहरी डेटा, पेन ड्राइव और डिस्ट्रिब्यूटिड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों से सुरक्षा के लिए सख्त प्रोटोकॉल शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन माध्यमों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर ‘पॉप-अप’ और ‘अलर्ट’ तुरंत जारी किए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि डीडीओएस हमला सर्वर पर कई स्रोतों से आने वाले ट्रैफिक को बढ़ा देता है, जिससे वह क्रैश हो जाता है या वैध उपयोगकर्ताओं के लिए अनुपलब्ध हो जाता है। यह शेयर बाजार जैसे निर्बाध संचालन पर निर्भर उद्योगों के लिए एक गंभीर खतरा है।सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एनएसई ने अपनी प्रणाली की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सभी ट्रेडिंग सदस्यों और कर्मचारियों के लिए भेद्यता मूल्यांकन और प्रवेश परीक्षण (वीएपीटी) अनिवार्य कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर के पत्रकारों के एक समूह ने शनिवार को एनएसई का दौरा किया और इसकी प्रबंधन सुविधाओं, साइबर सुरक्षा केंद्रों और बैकअप सेटअप का निरीक्षण किया।शीर्ष अधिकारियों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुई एक घटना के बारे में जानकारी साझा की।

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अलर्ट मोड पर रहते हैं NSE कर्मचारी

अधिकारियों ने बताया कि उस अवधि के दौरान अत्यधिक सुरक्षा खतरे के जवाब में एनएसई ने एहतियाती उपाय के रूप में विदेशी उपयोगकर्ताओं के लिए अपनी वेबसाइट तक पहुंच को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने का एक सचेत निर्णय लिया। एनएसई नेतृत्व ने कहा कि किसी भी उल्लंघन की स्थिति में न केवल एक्सचेंज के सिस्टम, बल्कि ‘हमसे जुड़ी हर चीज प्रभावित होगी।

अधिकारियों ने आगे कहा कि बढ़ते वैश्विक अंतर्संबंध और प्रणाली की जटिलता ने बड़े पैमाने पर साइबर हमलों के जोखिम को और भी प्रासंगिक बना दिया है, जिससे वित्तीय बाजारों की स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

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उन्होंने कहा कि वित्तीय बाजार के बुनियादी ढांचे पर बहुत कम लागत पर बड़े पैमाने पर साइबर हमलों की संभावना एक प्रमुख वैश्विक जोखिम बनी हुई है।एनएसई के पास एक टिकाऊ, स्व-सक्रिय बैकअप प्रणाली है जिसे औपचारिक डिजिटल प्रक्रिया और अनिवार्य अनुमोदन के माध्यम से चेन्नई स्थित अपने मुख्यालय से दूरस्थ रूप से संचालित किया जा सकता है।

एक अधिकारी ने कहा कि ट्रेडिंग प्रणाली से लेकर बैकअप सेटअप तक, यह प्रणाली काफी हद तक अपना काम खुद करती है। यह न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ स्वचालित रूप से दोषों या त्रुटियों को ठीक कर सकती है। यदि यहां कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद चेन्नई में एक समानांतर बैकअप सेटअप चालू हो जाता है।उन्होंने कहा कि ऐसा स्थिति अभी तक नहीं बनी है।

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