
Mutual Funds Red flags: आजकल कई लोग अपनी सेविंग्स को बढ़ाने और महंगाई से लड़ने के लिए म्यूचुअल फंड्स को चुनते हैं। यह सच है कि लंबे समय में अच्छे फंड्स आपके पैसों को दोगुना-तिगुना तक बढ़ा सकते हैं, लेकिन हर फंड सुरक्षित नहीं होता। कई बार लोग बिना रिसर्च किए या बस दूसरों की बातों में आकर निवेश कर बैठते हैं और बाद में पछताते हैं। ऐसे में मेहनत की कमाई दांव पर लग सकती है। इसलिए निवेश करने से पहले उन संकेतों को पहचानें जो आपको साफ बता देते हैं कि यह फंड आपके लिए सही नहीं है। आइए जानते हैं वो 7 बड़े रेड फ्लैग्स, जिन्हें नजरअंदाज करना आपके लिए घाटे का सौदा हो सकता है।
किसी फंड का कभी-कभार डाउन होना नॉर्मल है, लेकिन अगर वो अपने बेंचमार्क और बाकी फंड्स से लगातार कमजोर प्रदर्शन कर रहा है, तो समझ लीजिए स्ट्रैटेजी सही नहीं है। ऐसे फंड से दूरी बनाना ही बेहतर है।
कुछ फंड इतने कॉम्प्लेक्स मॉडल का इस्तेमाल करते हैं कि आम निवेशक समझ ही नहीं पाता कि पैसा कहां और कैसे लगाया जा रहा है। ऐसे फंड्स से दूर रहना ही बेहतर है, क्योंकि सिंपल प्रोडक्ट ही लंबे समय में फायदे का सौदा होते हैं।
अगर कोई फंड बार-बार शेयर खरीद-बिक्री करता है तो ये शॉर्ट-टर्म दांव का संकेत है। इससे न सिर्फ खर्च और टैक्स बढ़ते हैं, बल्कि रिस्क भी ज्यादा हो जाता है और रिटर्न स्थिर नहीं रह पाता।
डाइवर्सिफिकेशन यानी विविधता किसी भी अच्छे निवेश की पहचान है। अगर कोई फंड बस कुछ ही कंपनियों या सेक्टर्स में पैसा लगाए, तो रिस्क बढ़ जाता है। किसी एक सेक्टर की गिरावट पूरे फंड को नुकसान पहुंचा सकती है।
अगर फंड साफ-साफ नहीं बताता कि उसने कहां इन्वेस्ट किया है या रिस्क फैक्टर्स को छुपाता है, तो ये बड़ा खतरे का संकेत है। भरोसेमंद फंड हमेशा खुलकर जानकारी देते हैं।
हर फंड कुछ फीस और चार्ज लेता है, लेकिन अगर ये कैटेगरी के औसत से ज्यादा है तो आपके रिटर्न पर सीधा असर पड़ेगा। इक्विटी फंड्स में लंबे समय तक हाई एक्सपेंस रेशियो आपकी कमाई को खा जाता है।
एक्सपीरियंस्ड और स्थिर मैनेजमेंट से फंड का प्रदर्शन अच्छा रहता है। लेकिन अगर मैनेजर बार-बार बदल रहे हैं, तो स्ट्रैटेजी भी बदलती रहेगी और फंड का भरोसा टूट सकता है।