
भविष्य निधि (PF) खाते में जमा पैसे और उससे मिलने वाली पेंशन की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन इसके तीसरे फायदे के बारे में कई लोगों को पता भी नहीं होता है। क्या आप जानते हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के पास जिन सैलरीड पर्सन का खाता है, उन सभी का स्वतः लाइफ इंश्योरेंस हो जाता है, वो भी बिना कोई प्रीमियम दिए? हां, यह बिल्कुल सही है कि कर्मचारी की सैलरी से एक रुपये कटे बिना ही उसे लाइफ इंश्योरेंस बेनिफिट मिल जाता है। आइए जानते हैं पीएफ खाताधारकों को मिलने वाले जीवन बीमा लाभ के बारे में।
पीएफ खातों को मैनेज करने वाला ईपीएफओ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले सैलरीड पर्संस को ऑटोमैटिक लाइफ इंश्योरेंस देता है। यह एंप्लॉयीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) स्कीम कहलाती है। नियम के अनुसार, ईपीएफ स्कीम के सभी सदस्य इस स्कीम के स्वतः हकदार हो जाते हैं। लेकिन इसका प्रीमियम एंप्लॉयी नहीं बल्कि एंप्लॉयर भरता है। लेकिन एंप्लॉयर कभी ईडीएलआई स्कीम का प्रीमियम भरने की जिक्र तक नहीं करता है।
दरअसल, ईडीएलआई स्कीम के प्रीमियम की रकम ही बहुत छोटी होती है। नियम के अनुसार, प्रति माह प्रीमियम अधिकतम 75 रुपये ही हो सकता है। प्रीमियम का निर्धारण इस बात पर होता है कि एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी कितनी है। मूल वेतन के 0.5% ही ईडीएलआई स्कीम का प्रीमियम होता है। नियम यह भी है कि अधिकतम 15,000 रुपये के मूल वेतन पर ही ईडीएलएआई स्कीम का प्रीमियम तय हो सकता है। इसी वजह से 15 हजार रुपये का प्रीमियम 75 रुपये होता है जो ईडीएलआई स्कीम की अधिकतम सीमा है।
पीएफ खाते पर मिलने वाले इस लाइफ इंश्योरेंस का फायदा नौकरी में रहते हुए एंप्लॉयी की मृत्यु के बाद उसके परिजनों को मिलता है। अच्छी बात यह है कि मृत्यु किस वजह से हुई और कहां हुई, इन सब बातों का इंश्योरेंस अमाउंट पेमेंट से कोई लेना-देना नहीं होता है। अगर एंप्लॉयी पिछले 12 महीनों से नौकरी में था और उसकी किसी भी कारण से देश या दुनिया के किसी भी हिस्से में हो गई तो उसके परिजनों को इंश्योरेंस की रकम मिलेगी। वह रकम अधिकतम 7 लाख रुपये हो सकती है। आइए इसका भी हिसाब जानते हैं।
मृतक को आखिरी वेतन के रूप में कितने रुपये मिले थे और उसके पीएफ खाते में बीते 12 महीनों औसतन कितनी रकम थी, इस बात पर निर्भर करता है कि उसके परिजनों को इंश्योरेंस की कितनी रकम मिलेगी। नियम के मुताबिक, कम से कम 2.5 लाख रुपये तो मिलेंगे ही जो अधिकतम 7 लाख रुपये हो सकते हैं। किसी मृतक के परिजन को 2.5 लाख से 7 लाख रुपये तक में कितनी रकम मिलेगी, इसका हिसाब लगाने के लिए एक फॉर्म्युला तय है।
30 × (12 महीने का औसत मूल वेतन जो अधिकतम 15 हजार ही हो सकता है) + बोनस। बोनस की रकम भी 2.5 लाख रुपये तय है। इसलिए जिस एंप्लॉयी के खाते में एक रुपया भी नहीं बचा हो तो भी कम से कम बोनस का 2.5 लाख रुपये तो मिलेगा ही। इसी तरह, अगर किसी एंप्लॉयी के खाते में 15 हजार रुपये मूल वेतन की अधिकतम सीमा में पैसे जमा हैं तब उसकी मृत्यु पर परिजनों को (30 × ₹15,000) + ₹2,50,000 = ₹4,50,000 + ₹2,50,000 = ₹7,00,000 मिलेंगे।