
Income Tax guide: पहली नौकरी करने वाले कई लोगों के लिए उनकी पहली सैलरी बहुत मायने रखती है। अकाउंट में पैसे देखकर जो खुशी मिलती है, वो तो अलग ही लेवल की होती है। लेकिन इस सैलरी के साथ ही एक डाउट भी होता है कि क्या मेरी सैलरी पर टैक्स कटेगा? और अगर हां, तो कितना?
अक्सर नए जॉइनर्स को टैक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती और वो बिना प्लानिंग के ही टैक्स भरना शुरू कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप बेसिक टैक्स डिडक्शन, छूट और सही फाइनेंशियल प्लानिंग को समझें।
अगर आपकी सालाना इनकम ₹2.5 लाख से कम है (पुरानी टैक्स व्यवस्था में), तो एक भी रुपया टैक्स नहीं देना पड़ेगा। अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुनते हैं (जो अब डिफॉल्ट है), तो ₹3 लाख तक की इनकम टैक्स-फ्री होती है। इसके बाद आपकी इनकम के हिसाब से टैक्स स्लैब लागू होते हैं।
नया टैक्स स्लैब (नई व्यवस्था, Assessment Year 2025-26)
| आय सीमा ( ₹) | टैक्स दर (नई व्यवस्था) |
|---|---|
| 0 – 3,00,000 | 0% |
| 3,00,001 – 7,00,000 | 5% |
| 7,00,001 – 10,00,000 | 10% |
| 10,00,001 – 12,00,000 | 15% |
| 12,00,001 – 15,00,000 | 20% |
| 15,00,001 – ऊपर | 30% |
यह नई स्लैब Income Tax Department के आधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध है।
(नोट: ₹12 लाख तक की टैक्सेबल आय पर Section 87A के तहत रिबेट का फायदा मिलता है, यानी इस सीमा तक नेट टैक्स जीरो हो सकता है।)
अगर आपकी पहली सैलरी ₹25,000 है, यानी सालाना ₹3 लाख, तो उस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन जैसे-जैसे इनकम बढ़ेगी, टैक्स स्लैब लागू होंगे।
पुराने टैक्स रिजीम में आपको कई तरह की छूट मिलती है, जैसे:
Section 80C: PPF, EPF, LIC प्रीमियम, ELSS में इन्वेस्टमेंट पर ₹1.5 लाख तक की छूट
Section 80D: मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर ₹25,000 तक की छूट
Standard Deduction: ₹50,000 की फ्लैट छूट हर सैलरीड एम्प्लॉई को
HRA और LTA: किराए का घर या यात्रा क्लेम करने पर
नए टैक्स रिजीम में ये ज्यादातर डिडक्शन नहीं मिलते, लेकिन अब Standard Deduction ₹75,000 (AY 2025-26 से) का फायदा यहां भी मिलता है। साथ ही, एम्प्लॉयर का NPS या EPF में योगदान भी टैक्स-फ्री रहता है (सेक्शन 80CCD(2) के तहत)।
इनकम टैक्स वेबसाइट या ग्रो, टैक्सबडी, क्लियरटैक्स जैसी ऐप्स से आसानी से पता कर सकते हैं कि आपकी इनकम पर कितना टैक्स लगेगा।
पहली सैलरी आपकी मेहनत का फल है। बिना सही टैक्स प्लानिंग के उसका एक बड़ा हिस्सा बेवजह चला जाएगा। पुराने और नए टैक्स रिजीम के फायदे-नुकसान समझकर ही फैसला लें, क्योंकि फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला कदम टैक्स को समझना है।