
बैंक, लोन देने वाली संस्था, इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म, म्यूचुअल फंड कंपनी या बीमा कंपनी जैसी कोई भी वित्तीय संस्था होती है, उन्हें अपने ग्राहकों का बैकग्राउंड चेक करना ज़रूरी होता है। यह जांच इसलिए की जाती है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सके। इसी प्रक्रिया को KYC (Know Your Customer) कहा जाता है।
म्यूचुअल फंड्स के लिए भी KYC से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं, जिन्हें रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने तय किया है। अब SEBI ने कुछ नए बदलाव और नियम जारी किए हैं, जिनके अनुसार निवेशकों को फिर से KYC करनी होगी। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
KYC (Know Your Customer) का मतलब है “अपने ग्राहक को जानिए”। यह एक जरूरी प्रक्रिया है जिससे वित्तीय संस्थान यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके ग्राहक असली हैं और कोई गलत गतिविधि (जैसे धोखाधड़ी या मनी लॉन्ड्रिंग) नहीं कर रहे हैं।
KYC प्रक्रिया बैंकिंग, बीमा और म्यूचुअल फंड जैसे क्षेत्रों में बहुत अहम है, क्योंकि यह पूरे वित्तीय सिस्टम की सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखती है।
म्यूचुअल फंड्स में KYC इसलिए और भी जरूरी है क्योंकि निवेशकों का पैसा एक साथ इकट्ठा कर अलग-अलग जगह निवेश किया जाता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि हर निवेशक की पहचान और उसकी जानकारी सही हो।
निवेशक म्यूचुअल फंड कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन KYC पूरी कर सकते हैं। AMFI (Association of Mutual Funds in India) के अनुसार, हर निवेशक संबंधित म्यूचुअल फंड की वेबसाइट के ‘Modify/Update KYC’ सेक्शन में जाकर अपनी जानकारी भर सकता है और जरूरी दस्तावेज़ अपलोड कर सकता है।