Investment Tips: रूस-यूक्रेन युद्ध चल ही रहा है, अब इजरायल-ईरान के बीच नया युद्ध शुरू हो गया है। इस बीच भारत-पाकिस्तान के दरम्यान भी चार दिनों का सैन्य संघर्ष हो चुका। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से दुनियाभर के करीब 60-70 देशों पर आयात शुल्क में भारी बढ़ोतरी कर दी। इन सब वजहों से वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला में बाधा पहुंचती है।
कोराबार और व्यापार के क्षेत्र की भावनाएं आहत होती हैं तो इसका सीधा असर निवेशकों के मन पर पड़ता है। निवेशक पैसे लगाने से पहले सौ दफा सोचने लगते हैं कि कहीं उनका निवेश बहुत ज्यादा जोखिम भरा तो नहीं हो जाएगा? इस उधेड़बुन में बहुत से निवेशक निवेश रोककर सही वक्त का इंतजार करने लगते हैं। अगर भारत की आर्थिक प्रगति की संभावनाओं के मद्देनजर निवेश के माहौल की बात करें तो यहां भी निवेशक गुना-गणित करने में लगे हैं। इस बीच आई एक नहीं, चार-चार रिपोर्ट्स एक ही तरफ इशारा कर रही हैं। केयरएज, इकरा, कूलियर्स और पीडब्ल्यूसी की अलग-अलग रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत को भले थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़े, लेकिन उसका भविष्य शानदार है। आइए जानते हैं, किस रिपोर्ट में क्या कहा गया है।
वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दम दिखा रही है। बीते वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा 6.5 प्रतिशत रही। पिछली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 प्रतिशत रहा। वहीं, अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर भी घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई जो अगस्त 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। जहां तक बात वित्तीय प्रबंधन की है तो केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025 ने राजकोषीय घाटे को 4.8 प्रतिशत पर रोके रखा। देश में निजी क्षेत्रों की घोषणाओं और पूरी हुई सरकारी परियोजनाओं के दम पर वित्त वर्ष 2025 की चौथी और आखिरी तिमाही में निवेश का माहौल भी तेजी से सुधरा है। केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नीतिगत ब्याज दरों में लगातार कटौती की है और अब रेपो रेट 5.5 प्रतिशत तक आ गया है। केयरएज का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था दमदार प्रदर्शन करेगी।
भारत की कंपनियों को चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में अच्छा-खासा ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन हासिल होगा। रेटिंग एजेंसी इकरा (ICRA) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि दमदार घरेलू मांग और किफायती लागत के कारण कंपनियां 18.2 से 18.5 प्रतिशत की ठीकठाक दर से लाभ कमा लेंगी। इकरा ने कहा कि रेपो रेट में लगातार कटौती से कंपनियों के लिए लोन सस्ता हो गया है, जिसका सीधा असर इनपुट कॉस्ट पर पड़ेगा। इकरा ने पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में फाइनैंशियल सेक्टर को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों की 589 कंपनियों के आर्थिक प्रदर्शन का विश्लेषण किया। इन कंपनियों ने सालाना आधार पर 7.6 प्रतिशत रेवेन्यू ग्रोथ हासिल किया। हालांकि, लोहा और स्टील जैसे कुछ क्षेत्रों को बदले वैश्विक परिस्थितियों के कारण दबाव महसूस करना पड़ा है।
इकरा का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मांग अच्छी रहेगी जबकि शहरी मांग में भी सुधार की उम्मीद है। इकरा ने कहा कि इनकम टैक्स छूट का दायरा बढ़ने, खाद्य महंगाई घटने और रेपो रेट में कटौती के कारण ईएमआई घटने के कारण लोगों के पास खर्च के लिए ज्यादा पैसे होंगे। हालांकि, ट्रंप टैरिफ और इजारयल-ईरान युद्ध जैसी समस्याओं के कारण निर्यात संबंधी कंपनियों को थोड़ी परेशानी हो सकती है। पिछली तिमाही में भारतीय कंपनियों की ऑपरेटिंग मार्जिन 63 बेसिस पॉइंट सुधरकर 18.5 तक पहुंच गई जो वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही के बाद सबसे ऊंची है।
भारत अब विदेशी निवेश के लिए एक बड़ी और पसंदीदा जगह बन गया है, खासकर जमीन और डेवलपमेंट वाली जगहों में। कूलियर्स की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 की पहली तिमाही तक पिछले 12 महीनों में भारत को 73.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश मिला है। इस मामले में भारत दुनिया के टॉप 10 देशों में सातवें नंबर पर है। इस 73.5 करोड़ डॉलर में से 33.2 करोड़ डॉलर तो पूरी दुनिया से आया है, बाकी का पैसा क्षेत्रीय स्रोतों (यानी एशिया या आसपास के देशों से) से आया है। हालांकि, कुल विदेशी निवेश में भारत का हिस्सा 1.5% है, जो थोड़ा कम हो रहा है, फिर भी ये पिछले पांच सालों के औसत 1.2% से ज़्यादा है।
इन सबके बावजूद, खासकर एशिया-पैसिफिक (APAC) के दूसरे बाजारों से तुलना करें तो भारत अभी भी निवेश के लिए एक बहुत अच्छी जगह माना जाता है। भारत का टॉप दस देशों में बने रहना दिखाता है कि निवेशक भारत की टिकाऊ वृद्धि क्षमता पर और यहां लैंड एवं डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में मौजूद अवसरों पर भरोसा करते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक स्थान तब भी बना हुआ है, जबकि वैश्विक स्तर पर निवेश की मात्रा कम है। रिपोर्ट कहती है कि निवेशक उत्तरी अमेरिका से यूरोप और एशिया प्रशांत क्षेत्र के बाजारों की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत के आने वाले दिन बहुत सुहाने हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रफेशनल कंपनी पीडब्ल्यूसी ने कहा है कि भारत अगले पांच वर्षों में 500 अरब डॉलर तक के इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स तैयार करने की क्षमता हासिल कर सकता है। उसने कहा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव के बीच भारत इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। उसने कहा कि भारत ने अगर बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं भी किया तो भी 2030 तक इसका इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्शन 282 अरब डॉलर का आंकड़ा छू लेगा। उसने कहा कि अगर विकास की मध्य गति रही तो 418 अरब डॉलर और अगर नीति आयोग के लक्ष्य पर खरा उतरा तो अगले 5 वर्ष में 500 अरब डॉलर का प्रॉडक्शन संभव है। पीडब्यूसी ने कहा कि मोबाइल फोन, सेमीकंडक्टर और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में तो भारत की स्थिति काफी मजबूत है लेकिन बाकी क्षेत्रों सुधार की गुंजाइश है।
शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, एसआईपी जैसे टर्म भारत में अब आम हो गए हैं। अब दूर-दराज के गांवों में भी लोग शेयर बाजार में पैसे लगा रहे हैं, म्यूचुअल फंड में पैसे लगा रहे हैं, एसआईपी के जरिए तरह-तरह से निवेश कर रहे हैं। संभव है कि आप भी उन्हीं निवेशकों में हों या निवेश के द्वार पर खड़े हों, लेकिन अंदर जाने में हिचक हो रही हो। शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या किसी भी तरह के निवेश में जोखिम तो रहता है, लेकिन एक्सपर्ट्स भी कोई राय पर पहुंचते हैं तो वो ऐसी ही रिपोर्ट्स के साथ-साथ अन्य स्रोतों से आए आंकड़ों का विश्लेषण ही करते हैं। स्वाभाविक है कि किसी भी दिशा से, किसी भी क्षेत्र में कोई बहुत बुरी खबर आती नहीं दिखाई दे तो ऐसी परिस्थिति को सुरक्षित निवेश का मुफीद माहौल ही माना जाता है। ऊपर की रिपोर्ट्स तो कुछ इसी तरफ इशारा कर रही हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ परिस्थितियों के आकलन के जरिए ज्ञान और समझ बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी तरह का निवेश करने से पहले किसी प्रमाणित निवेश सलाहकार की राय ले लें। आपके निवेश और जोखिम के लिए मिंट हिंदी कहीं से भी जिम्मेदार नहीं है।