
ITR Filing 2025: ITR फाइलिंग का नाम आते ही दिमाग में लंबे-चौड़े फॉर्म, जटिल कैलकुलेशन, CA की मोटी फीस और नोटिस का डर घूमने लगता है। इनकम टैक्स की तरफ से कई फॉर्म मुहैया कराए गए हैं। जहां आपको अपनी कमाई के मुताबिक, फॉर्म का चयन करना होता है। कभी थोड़ी भी गलती हो गई तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस मिल सकता है। ऐसे में आईटीआर दाखिल करने से पहले सभी फॉर्म भली भांति पढ़ लेना चाहिए। वहीं ITR दाखिल करने से पहले फॉर्म 26AS, AIS और TIS का मतलब भी जान लेना चाहिए।
अगर आप इन तीनों के बारे में अच्छी तरह जानते हैं और इनका सही ढंग से इस्तेमाल करते हैं, तो न सिर्फ आपका रिटर्न सही तरीके से फाइल होगा, बल्कि किसी भी तरह की गलती होने या बाद में नोटिस मिलने की आशंका भी कम हो जाएगी। वैसे भी आईटीआर दाखिल करने के लिए कई चीजों की जरूरत रहती है।
फॉर्म 26AS एक टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट होता है। जिससे पता चलता है कि आपके पैन (PAN) के तहत कितना टैक्स जमा किया गया है। इसमें आपकी सैलरी या अन्य इनकम पर कटा TDS, सेल्फ-असेसमेंट टैक्स, एडवांस टैक्स, रिफंड की जानकारी और कुछ बड़े खर्चों या निवेश की डिटेल्स होती हैं। किसी प्रॉपर्टी की खरीद या बड़े म्यूचुअल फंड इनवेस्टमेंट का ब्योरा जैसी तमाम जानकारी शामिल रहती है। अगर इसमें कोई गलती हो – जैसे किसी TDS की एंट्री मिस हो – तो आप उस व्यक्ति या संस्था से संपर्क कर सकते हैं जिसने टैक्स काटा है और उसे सुधारने के लिए कह सकते हैं।
एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट - इस फॉर्म के जरिए वित्त वर्ष के ट्रांजैक्शन की पूरी जानकारी रहती है। कहने का मतलब ये हुआ कि आपने पूरे साल कहां - कहां और कितना ट्रांजैक्शन किया है या खर्च किया है। इसके तहत पूरी जानकारी रहती है। AIS आईटीआर फाइल करने में बहुत ही काम आता है। सैलरी, ब्याज, डिविडेंड, किराए से आय, टीडीएस, TCS डिटेल्स, शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री जैसे लेनदेन, विदेशी रेमिटेंस और GST टर्नओवर, टैक्स पेमेंट, रिफंड, और डिमांड आदि की जानकारी शामिल होती है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने के लिए टैक्सपेयर्स को उनके सभी वित्तीय गतिविधियों का रिकॉर्ड एक जगह पर दिया जाता है।
AIS के साथ-साथ TIS यानी टैक्सपेयर इनफॉर्मेशन समरी (Taxpayer Information Summary) भी दी जाती है। यह आपकी सारी फाइनेंशियल डिटेल्स का एक प्रकार का सारांश होता है। इसमें दिखाया जाता है कि सिस्टम ने किस जानकारी को प्रोसेस किया है और आपके फीडबैक देने के बाद क्या वैल्यू मंजूर की है। TIS में जानकारी कैटेगरी वाइज दी जाती है। इसमें सैलरी, ब्याज, डिविडेंड जैसी तमाम कैटेगरी शामिल हैं। इसे इस तरह तैयार किया गया है कि अगर आप अपने रिटर्न भरते समय प्री-फिल्ड डेटा इस्तेमाल करना चाहें, तो TIS की मदद से वो डेटा पहले से फॉर्म में आ जाए और आपकी फाइलिंग और आसान हो जाए।