समय से पहले कर्ज चुकाने पर क्रेडिट स्कोर बढ़ेगा या घटेगा? लोन प्रीपेमेंट से CIBIL स्कोर पर असर, फायदे और नुकसान जानिए

Credit Score Impact Loan Prepayment: कर्ज चुकाने पर क्रेडिट स्कोर बढ़ेगा या घटेगा? लोन प्रीमेंट से आपका कर्ज भी कम हो जाता है जो लंबी अवधि में स्कोर के लिए अच्छा है। हालांकि, अकाउंट बंद होने से क्रेडिट हिस्ट्री की लेंग्थ और क्रेडिट मिक्स पर असर पड़ता है, जिससे स्कोर में गिरावट आ सकती है।

Naveen Kumar Pandey
अपडेटेड4 Oct 2025, 06:33 PM IST
लोन प्रीपेमेंट का क्रेडिट स्कोर पर क्या असर होता है? (सांकेतिक तस्वीर)
लोन प्रीपेमेंट का क्रेडिट स्कोर पर क्या असर होता है? (सांकेतिक तस्वीर)(Canva)

बढ़िया लोन मैनेजमेंट से आकर्षक क्रेडिट प्रोफाइल बनाने और बरकरार रखने में बहुत मदद मिलती है। ईएमआई के दौर में हममें से ज्यादातर लोग छोटा या बड़ा, कोई ना कोई लोन लेते ही हैं। लोन चुकाने की एक मियाद होती है, लेकिन पैसा हाथ में आ जाए तो उसे समय से पहले चुकाने की भी सोचते हैं। इसे ही लोन प्रीमेंट कहा जाता है। लोन प्रीपेमेंट के फायदे तो साफ हैं, लेकिन क्रेडिट स्कोर पर इसका असर थोड़ा जटिल है। क्रेडिट ब्यूरो (CIBIL, Experian, CRIF High Mark) और वित्तीय संस्थानों के अनुसार, कर्ज चुकाने का यह कदम आपकी साख को कैसे प्रभावित करता है, आइए समझते हैं।

लोन प्रीपेमेंट और क्रेडिट स्कोर का संबंध

भारत में क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, जिसे मुख्य रूप से TransUnion CIBIL, Experian, Equifax और CRIF High Mark जैसे ब्यूरो देते हैं। 750 से ऊपर का स्कोर बेहतरीन माना जाता है। यही स्कोर लोन की मंजूरी, ब्याज दर और क्रेडिट लिमिट को प्रभावित करता है। स्कोर तय करने में कई चीजें शामिल हैं, समय पर रीपेमेंट (35-40%), कर्ज की रकम (30%), क्रेडिट हिस्ट्री की अवधि (15%), क्रेडिट मिक्स (10%) और नए लोन की पूछताछ (10%)।

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क्या होता है लोन प्रीपेमेंट?

लोन प्रीपेमेंट का मतलब है, निर्धारित समय से पहले लोन चुकाना। यह पर्सनल लोन, होम लोन या कार लोन जैसे किसी भी लोन के लिए हो सकता है। इसमें आप या तो पार्ट प्रीपेमेंट या फिर फुल प्रीपेमेंट करते हैं। पार्ट प्रीमेंट में मूलधन का एक हिस्सा चुकाते हैं और लोन अकाउंट खुला रहता है जबकि फुल प्रीमेंट में पूरी देनदारी ही खत्म कर देते हैं और लोन अकाउंट क्लोज हो जाता है जिसे फोरक्लोजर भी कहते हैं।

फोरक्लोजर और सेटलमेंट का अंतर समझिए

अगर आपने सभी ईएमआई समय पर भरे हैं, तो फुल प्रीपेमेंट को एक अच्छा कदम माना जाता है। लेकिन एक बात ध्यान में रखना होगा कि फोरक्लोजर और सेटलमेंट में अंतर होता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, पूरा पैसा देकर लोन अकाउंट बंद करवाना फोरक्लोजर होता है, लेकिन जब आप बैंक से कहते हैं कि आप लोन का बकाया देने में सक्षम नहीं हैं और बातचीत के बाद एक तय राशि देने को तैयार होते हैं जो पूरी रकम से कम होती है, तब वह सेटलमेंट अमाउंट कहलाता है।

पूरी रकम नहीं देकर कम सेटलमेंट अमाउंट के जरिए लोन अकाउंट क्लोज करवाने का क्रेडिट स्कोर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए यह स्पष्ट कर लें कि लोन अकाउंट को समय से पहले किस तरीके से क्लोज करवा रहे हैं- फोरक्लोजर या सेटलमेंट से?

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लोन प्रीमेंट या फोरक्लोजर का असर

लोन का प्रीपेमेंट आपकी वित्तीय जिम्मेदारी को दिखाता है और कर्ज से जुड़े कई पैमानों पर सुधार करके आपके क्रेडिट प्रोफाइल को बेहतर बनाता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, बैंकों को फ्लोटिंग-रेट होम लोन और ज्यादातर पर्सनल लोन पर प्रीपेमेंट पेनल्टी लगाने की मनाही है।

कुल कर्ज में कमी और बेहतर DTI

प्रीपेमेंट करने से आपका कुल बकाया कर्ज घट जाता है, जो क्रेडिट स्कोरिंग के 'कर्ज की रकम' वाले फैक्टर को सीधे प्रभावित करता है। आपका डेट-टू-इनकम रेश्यो (DTI) यानी मासिक कर्ज देनदारियों का आपकी आय से अनुपात भी सुधरता है। 30-40% से नीचे का DTI आपको लेंडर्स के लिए कम जोखिम भरा बनाता है। पर्सनल या होम लोन जैसे इंस्टॉलमेंट लोन के मामले में यह कर्ज के बोझ को कम करके भविष्य में आपके लोन लेने की योग्यता को बढ़ाता है।

आखिर साख का सवाल भी है

समय पर प्रीपेमेंट यह दिखाता है कि आप अनुशासित तरीके से रीपेमेंट करते हैं, जिससे आपका पेमेंट हिस्ट्री मजबूत होता है। Experian का कहना है कि अगर किसी बंद अकाउंट का पेमेंट हिस्ट्री अच्छा है, तो यह आपकी रिपोर्ट पर सकारात्मक असर डालता है। यह स्थिति 'सेटलमेंट' या 'राइट-ऑफ' जैसी नकारात्मक स्थितियों से बिलकुल अलग है।

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जुड़े हुए खातों के लिए कम क्रेडिट यूटिलाइजेशन

अगर आपका लोन किसी रिवॉल्विंग क्रेडिट (जैसे ओवरड्राफ्ट सुविधा) से जुड़ा है, तो प्रीपेमेंट करने से क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो (उपयोगिता अनुपात) बेहतर होता है। 30% से नीचे का अनुपात आदर्श माना जाता है, और प्रीपेमेंट करने से क्रेडिट लिमिट मुक्त होकर इसे हासिल करने में मदद मिलती है।

क्रेडिट स्कोर पर अस्थायी नकारात्मक असर

फायदे होने के बावजूद लोन का प्रीपेमेंट क्रेडिट हिस्ट्री की गतिशीलता में बदलाव के कारण क्रेडिट स्कोर में कुछ समय के लिए गिरावट ला सकता है। ये असर अक्सर कुछ महीनों के लिए होता है और आपकी समग्र क्रेडिट प्रोफाइल पर निर्भर करता है।

क्रेडिट हिस्ट्री घटने का असर

पूरा प्रीपेमेंट करने पर लोन अकाउंट बंद हो जाता है, जिससे आपके क्रेडिट खातों की औसत अवधि घट जाती है। क्रेडिट ब्यूरो लंबी हिस्ट्री को प्राथमिकता देते हैं। यदि प्रीपेड लोन आपके सबसे पुराने खातों में से एक था, तो यह स्कोर को थोड़ा कम कर सकता है क्योंकि इस फैक्टर का वेटेज 15% है।

क्रेडिट मिक्स में कमी

क्रेडिट मिक्स, क्रेडिट के प्रकारों की विविधता (इंस्टॉलमेंट लोन बनाम क्रेडिट कार्ड जैसे रिवॉल्विंग क्रेडिट) को दर्शाता है। अगर यह लोन आपका एकमात्र इंस्टॉलमेंट लोन था, तो इसे बंद करने से आपकी प्रोफाइल कम विविध हो सकती है, जिससे अस्थायी रूप से स्कोर 10-20 पॉइंट तक घट सकता है। अगर आप लोन बंद होने के बाद ज़्यादातर क्रेडिट कार्ड पर निर्भर रहते हैं, तो यह असर ज्यादा दिख सकता है।

रिपोर्टिंग में देरी की आशंका

क्रेडिट ब्यूरो हर 30-45 दिनों में रिपोर्ट अपडेट करते हैं। यदि प्रीपेमेंट की जानकारी तुरंत रिपोर्ट नहीं होती है, तो आपकी रिपोर्ट में ज़्यादा बकाया कर्ज दिख सकता है, जिससे स्कोर अस्थायी रूप से कम हो सकता है।

CRIF High Mark ने इस मिथक को खारिज किया है कि प्रीपेमेंट से स्कोर में तत्काल बढ़ोतरी होती है। उनके अनुसार, कर्ज चुकाना लंबी अवधि के लिए तो अच्छा है, लेकिन अकाउंट बंद होने से स्कोर में हल्की गिरावट आ सकती है। यह नकारात्मक असर उन लोगों के लिए ज़्यादा होता है, जिन्होंने कम अकाउंट का लोन लिया है या लोन लिए बहुत कम समय हुआ है।

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असर को प्रभावित करने वाले कारक

लोन का प्रकार: रिवॉल्विंग क्रेडिट (जैसे क्रेडिट कार्ड) का प्रीपेमेंट करने से उपयोगिता कम होने के कारण स्कोर अक्सर बढ़ता है, जबकि इंस्टॉलमेंट लोन (जैसे पर्सनल लोन) बंद होने के कारण स्कोर में अस्थायी गिरावट आ सकती है।

टाइमिंग: शुरुआती प्रीपेमेंट (पहले साल के भीतर) से हिस्ट्री-बिल्डिंग का लाभ कम मिलता है, जबकि बाद में प्रीपेमेंट करने से ज्यादा पॉजिटिव हिस्ट्री बनी रहती है।

ओवरऑल क्रेडिट प्रोफाइल: अगर आपके पास कई सक्रिय खाते हैं, तो असर कम होता है। पार्ट प्रीपेमेंट से अकाउंट बंद नहीं होता, जिससे नकारात्मक असर कम होता है।

ताकि लोन प्रीमेंट से हों ज्यादा फायदे और कम नुकसान

  • पार्ट प्रीपेमेंट चुनें ताकि अकाउंट खुला रहे और हिस्ट्री/मिक्स बना रहे।
  • ब्यूरो के पोर्टल के माध्यम से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की नियमित रूप से निगरानी करें ताकि किसी भी देरी या गलती को ठीक किया जा सके।
  • अन्य अकाउंट को एक्टिव रखकर विविध क्रेडिट पोर्टफोलियो बनाए रखें।
  • यदि प्रीपेमेंट करने से आपकी इमरजेंसी बचत खत्म हो रही है, तो ऐसा करने से बचें क्योंकि वित्तीय स्थिरता लंबी अवधि में क्रेडिट स्वास्थ्य को सपोर्ट करती है।
  • लोन सेटलमेंट या राइट ऑफ तो बिल्कुल नहीं करवाएं। सेटलमेंट के तहत आप अपनी देनदारी से कम रकम चुकाते हैं जबकि राइट-ऑफ में आप बकाया चुकाते ही नहीं।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी देने के लिए है और इसे वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए। लोन लेने वालों को अपनी विशिष्ट परिस्थितियों का आकलन करने के लिए किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए। Mint हिंदी आपके किसी भी फैसले के लिए कतई जिम्मेदार नहीं है।

की टेकअवेज
  • प्रीपेमेंट से रिवॉल्विंग क्रेडिट में उपयोगिता कम होने पर स्कोर बढ़ सकता है।
  • इंस्टॉलमेंट लोन का फुल प्रीपेमेंट स्कोर में अस्थायी गिरावट ला सकता है।
  • क्रेडिट प्रोफाइल में विविधता बनाए रखना स्कोर को स्थिर रखने में मदद करता है।

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