फंड इकट्ठा करने के लिए म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) और रिकरिंग डिपॉज़िट (Recurring Deposit) दो बहुत लोकप्रिय निवेश विकल्प हैं। दोनों के अपने फायदे और विशेषताएं हैं। आइए इन्हें आसान और समझने योग्य हिंदी में विस्तार से जानें।
म्यूचुअल फंड एक ऐसा निवेश साधन है जिसमें कई निवेशकों का पैसा मिलाकर एक बड़ा फंड बनाया जाता है। इस फंड का प्रबंधन अनुभवी फंड मैनेजर करते हैं, जो यह तय करते हैं कि पैसा कहां और कैसे निवेश किया जाए जैसे शेयर, बॉन्ड, या अन्य सिक्योरिटीज़ में। हर निवेशक को फंड में उनके निवेश के अनुसार यूनिट्स मिलती हैं, जो फंड की कुल संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी को दर्शाती हैं।
रिकरिंग डिपॉज़िट एक नियमित बचत योजना है जो बैंक और NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) द्वारा दी जाती है। इसमें आपको हर महीने एक तय राशि जमा करनी होती है। तय अवधि पूरी होने पर आपको आपका पूरा जमा पैसा और उस पर मिला ब्याज एक साथ वापस मिलता है।
म्यूचुअल फंड्स: इनकी अवधि बहुत लचीली होती है। आप कुछ महीनों से लेकर 10 साल या उससे ज्यादा समय तक निवेश कर सकते हैं। यह आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम सहनशीलता पर निर्भर करता है।
रिकरिंग डिपॉज़िट: RD की अवधि तय होती है (जैसे 1 साल)। अवधि पूरी होने के बाद यह अपने आप जारी नहीं रहती। अगर आप जारी रखना चाहते हैं तो नई RD शुरू करनी पड़ती है।
RD: ब्याज दर पहले से तय होती है। आपको पता होता है कि अवधि पूरी होने पर कितना मिलेगा। उदाहरण: अगर बैंक ब्याज दर 7% है, तो आपका रिटर्न निश्चित होगा।
म्यूचुअल फंड: इसके रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं। अगर फंड अच्छा प्रदर्शन करता है, तो रिटर्न अधिक मिल सकता है, लेकिन नुकसान की संभावना भी रहती है।
RD: बाज़ार से जुड़ा नहीं होता। ब्याज दर तय होती है और रिटर्न पर बाजार में उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता। इसलिए यह सुरक्षित निवेश है।
म्यूचुअल फंड: यह बाज़ार से जुड़ा होता है। रिटर्न फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जिससे लाभ भी अधिक हो सकता है और जोखिम
दोनों निवेश विकल्प अलग-अलग उद्देश्यों के लिए उपयोगी हैं।
निवेश करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता, और निवेश अवधि का आकलन करें। सही निर्णय के लिए किसी वित्तीय सलाहकार की राय लेना हमेशा लाभदायक होता है।