Credit Card: क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इन दिनों तेजी से बढ़ा है। बड़े शहरों में बढ़ते खर्च के बीच यंगिस्तान के लिए क्रेडिट कार्ड की डिमांड बढ़ती जा रही है। इससे लोगों की वित्तीय जरूरतें पूरी हो जाती है। लेकिन बाद में कर्ज चुकाना पड़ता है। एक बार क्रेडिट कार्ड की लत लग जाए तो जल्दी छूटती नहीं है। क्रेडिट कार्ड एक प्लास्टिक कार्ड होता है, जो डेबिट कार्ड (ATM कार्ड) की तरह ही होता है। डेबिट कार्ड के जरिए हम अपने बैंक खाते की राशि निकाल सकते हैं। इस बीच अगर क्रेडिट आकर्ड यूजर्स की मौत हो जाए तो फिर सवाल ये है कि आखिर कर्ज कौन भरेगा, आइये जानते हैं इस बारे में क्या कहता है कानून?
बता दें कि मुश्किल के समय क्रेडिट कार्ड बहुत काम आता है। इन शॉर्ट टर्म लोन्स का भुगतान करने के लिए कंपनियां ग्रेस पीरियड देती हैं और सबसे अच्छी बात ये है कि इस ग्रेस पीरियड के दौरान जो लोग क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान कर देते हैं, उन्हें इंटरेस्ट नहीं देना पड़ता है। लेकिन एक बार ग्रेस पीरियड खत्म हो जाए तो छोटे से लोन पर हेवी इंटरेस्ट लगाया जाता है।
ज़्यादातर क्रेडिट कार्ड अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured Loan) की कैटेगरी में आते हैं। अनसिक्योर्ड का मतलब है कि बैंक ये कार्ड आपको आपकी इनकम, क्रेडिट स्कोर और रीपेमेंट हिस्ट्री देखकर देते हैं। इसके बदले में कुछ भी गिरवी (कोलैटरल) नहीं रखवाता है। अगर ऐसे क्रेडिट कार्ड होल्डर की डेथ हो जाती है तो उसके साथ ही उसका लोन भी क्लोज हो जाता है। यानी क्रेडिट कार्ड का बिल भरने के लिए उसके यूजर को ही पूरी तरह जिम्मेदार माना जाता है। उसकी मृत्यु होने के बाद उसके परिवार पर इसका बोझ नहीं आता है।
ऐसे मामले में, बैंक सबसे पहले मृतक की संपत्ति (Estate) से अपना बकाया वसूलने की कोशिश करता है। अगर मृतक के नाम पर कोई संपत्ति, बैंक बैलेंस, या निवेश है, तो बैंक कानूनी प्रक्रिया के तहत उसमें से अपना पैसा क्लेम कर सकता है। अगर मृतक के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है और चुकाने के लिए कोई पैसा नहीं बचा है, तो बैंक को अंत में इस कर्ज को बट्टे खाते (Write-off) में डालना पड़ता है। कहने का मतलब ये हुआ कि बैंक इस नुकसान को खुद वहन करता है।
जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर खराब होता है या जिनकी कोई निश्चित आय नहीं होती, उन्हें बैंक सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड ऑफर करता है। यानी जिन लोगों के नाम पर कंपनियां क्रेडिट कार्ड आसानी से जारी नहीं करती हैं, उनके लिए नियम ये है कि उन्हें अपना FD रखना होता है। अगर किसी स्थिति में क्रेडिट कार्ड यूजर का देहांत हो जाता है तो उसके एफडी से लोन की राशि निकाल ली जाएगी। बाकी बची हुई रकम उसके वारिस को लौटा दी जाएगी। सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड में लोन माफ नहीं होता है। इसमें बैंक पहले से पैसे जमा करा लेते हैं।
1 - बिल भुगतान में देरी न करें, इससे ब्याज बढ़ता है और क्रेडिट स्कोर खराब होता है।
2 - केवल मिनिमम ड्यू अमाउंट न भरें, इससे कर्ज लंबे समय तक चलता है और ब्याज लगातार जुड़ता है।
3 - क्रेडिट लिमिट के पास या उससे अधिक खर्च न करें, इससे आपका CIBIL स्कोर खराब हो सकता है।
4 - क्रेडिट कार्ड से कैश न निकालें, इससे तुरंत ब्याज लगना शुरू हो जाता है और अन्य चार्ज भी लगते हैं।
5 - हर खरीदारी पर EMI न चुनें, इससे धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ सकता है।
6 - रिवॉर्ड पॉइंट्स और ऑफर्स के लालच में जरूरत से ज्यादा खर्च न करें, इससे बजट बिगड़ सकता है।
7 - बिना जरूरत के कई सारे क्रेडिट कार्ड न रखें। इससे पेमेंट, ड्यू डेट भूल सकते हैं। कार्ड का सालना चार्ज भी लगता है।
8 - कभी भी बिना स्टेटमेंट पढ़े पेमेंट न करें, इससे गलत चार्ज और फ्रॉड से बचे रहेंगे।