
Anil Ambani Money Laundering Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (Chief Financial Officer - CFO) और कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार कर लिया है। ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में की गई है। अनिल अंबानी इन दिनों कई तरह की वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में अशोक पाल की गिरफ्तारी कंपनी के लिए एक और झटका साबित हो सकता है। बता दें कि हाल ही के दिनों में ED ने अनिल को पूछताछ के लिए बुलाया था।
ED के अनुसार, RHFL और RCFL की ओर से 12,524 करोड़ रुपये के लोन दिए गए। इनमें से ज्यादातर लोन रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी कंपनियों को बांट दिए गए। इसमें से 6,931 करोड़ रुपये के लोन को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (Non - Performing Assets - NPA) घोषित किया गया है। सूत्रों के अनुसार, अशोक को गुरुवार रात को दिल्ली के उनके दफ्तर से पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, ED को शुरुआती जांच में यह पता चला है कि ये धनराशि रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों को वापस भेज दी गई, जिससे "सर्कुलर लेंडिंग" की चिंताएँ बढ़ गई हैं। ईडी ने कहा कि यस बैंक के राणा कपूर ने ऐसे लोन को मंजूरी देने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी ने यह भी बताया कि उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों RAB एंटरप्राइजेज, इमेजिन एस्टेट्स और ब्लिस हाउस को भी लोन की सुविधाएं दी गईं थीं। वहीं ग्रांट थॉर्नटन (Grant Thornton) की ओर से किए गए एक ऑडिट में बड़े पैमाने पर धन के दुरुपयोग और लोन नीतियों के उल्लंघन का पता चला है। अब तक, ईडी ने 60 कंपनियों और 22 व्यक्तियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी की अभी भी जांच पड़ताल जारी है।
इस साल जून में, भारतीय स्टेट बैंक ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी के खाते को 'धोखाधड़ी' घोषित कर दिया। इसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक को भी दी गई। इसके बाद सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। तब से, जाँचकर्ताओं ने शेल कंपनियों के एक नेटवर्क के ज़रिए सार्वजनिक धन के संदिग्ध दुरुपयोग की बड़े पैमाने पर जांच पड़ताल की। इस जांच के तहत मुंबई और दिल्ली स्थित समूह के कार्यालयों से दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड ज़ब्त किए हैं।