बाल पकड़कर घसीटा, खटमलों से भरे बिस्तर… ग्रेटा थनबर्ग ने बताया कैसे गुजरे इजरायली हिरासत में दिन

ग्रेटा थनबर्ग ने आरोप लगाया कि गाजा सहायता बेड़े से गिरफ्तार होने के बाद इजरायली जेल में उनके साथ कठोर व्यवहार किया गया। ग्रेटा ने आरोप लगाया कि उन्हें कम खाना-पानी मिला और खटमल भरे सेल में रखा गया।

Priya Shandilya
अपडेटेड5 Oct 2025, 05:09 PM IST
ग्रेटा थनबर्ग की गिरफ्तारी पर हंगामा, इजरायली जेल में झेली दर्दनाक हालत (फाइल फोटो)
ग्रेटा थनबर्ग की गिरफ्तारी पर हंगामा, इजरायली जेल में झेली दर्दनाक हालत (फाइल फोटो)(AFP)

जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थन्बर्ग (Greta Thunberg) के साथ दुर्व्यवहार की खबरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटा ने स्वीडिश अधिकारियों को बताया कि इजरायली हिरासत में रहते हुए उनके साथ बेहद सख्त और अमानवीय व्यवहार किया गया।

ये घटना उस वक्त की है जब हाल ही में उन्हें गाजा के लिए राहत सामग्री ले जा रहे फ्लोटिला (जहाजों के समूह) से गिरफ्तार किया गया था।

स्वीडिश दूतावास ने की पुष्टि

स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि उनका दूतावास जेल में ग्रेटा से मिला था। मंत्रालय द्वारा भेजे गए ईमेल के मुताबिक, ग्रेटा ने बताया कि उन्हें कम पानी और खाना दिया गया, जिससे डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि उनके शरीर पर कीड़े के काटने जैसे निशान आ गए, जो शायद बेडबग्स (खटमल) के कारण थे।

कैद में रखा गया कठोर माहौल

ग्रेटा ने यह भी बताया कि उन्हें कठोर सतहों पर लंबे समय तक बैठने के लिए मजबूर किया गया। वहीं, एक अन्य कैदी ने दावा किया कि ग्रेटा को इजरायली झंडा पकड़ने पर मजबूर किया गया, ताकि उनकी तस्वीरें ली जा सकें। ग्रेटा को शक है कि उनकी तस्वीरें कहीं प्रसारित भी की गईं।

तुर्की एक्टिविस्ट का चौंकाने वाला बयान

सुमूद फ्लोटिला में शामिल एक तुर्की एक्टिविस्ट एरसीन चेलिक ने भी ग्रेटा के साथ किए गए सुलूक पर बयान दिया है। उन्होंने कहा, “ग्रेटा को हमारे सामने बालों से घसीटा गया, पीटा गया और इजरायली झंडे को चूमने के लिए मजबूर किया गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब दूसरों को डराने के लिए किया गया।

क्या था पूरा मिशन

दरअसल, ये पूरा फ्लोटिला गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के मिशन पर निकला था। इस समूह में 40 से ज्यादा नावें शामिल थीं, जिनमें 437 कार्यकर्ता, सांसद और वकील सवार थे। लेकिन इससे पहले कि फ्लोटिला सहायता पहुंचा पाता, इजरायली सेना ने शुक्रवार को सभी नौकाओं को रोक लिया और सभी को हिरासत में ले लिया।

दुनिया में फैली हलचल

इस घटना के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मच गया है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इजरायल के रवैये की निंदा की है और पारदर्शी जांच की मांग की है। वहीं, ग्रेटा के समर्थक अब उनकी रिहाई के बाद न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।

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