
जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थन्बर्ग (Greta Thunberg) के साथ दुर्व्यवहार की खबरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटा ने स्वीडिश अधिकारियों को बताया कि इजरायली हिरासत में रहते हुए उनके साथ बेहद सख्त और अमानवीय व्यवहार किया गया।
ये घटना उस वक्त की है जब हाल ही में उन्हें गाजा के लिए राहत सामग्री ले जा रहे फ्लोटिला (जहाजों के समूह) से गिरफ्तार किया गया था।
स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि उनका दूतावास जेल में ग्रेटा से मिला था। मंत्रालय द्वारा भेजे गए ईमेल के मुताबिक, ग्रेटा ने बताया कि उन्हें कम पानी और खाना दिया गया, जिससे डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि उनके शरीर पर कीड़े के काटने जैसे निशान आ गए, जो शायद बेडबग्स (खटमल) के कारण थे।
ग्रेटा ने यह भी बताया कि उन्हें कठोर सतहों पर लंबे समय तक बैठने के लिए मजबूर किया गया। वहीं, एक अन्य कैदी ने दावा किया कि ग्रेटा को इजरायली झंडा पकड़ने पर मजबूर किया गया, ताकि उनकी तस्वीरें ली जा सकें। ग्रेटा को शक है कि उनकी तस्वीरें कहीं प्रसारित भी की गईं।
सुमूद फ्लोटिला में शामिल एक तुर्की एक्टिविस्ट एरसीन चेलिक ने भी ग्रेटा के साथ किए गए सुलूक पर बयान दिया है। उन्होंने कहा, “ग्रेटा को हमारे सामने बालों से घसीटा गया, पीटा गया और इजरायली झंडे को चूमने के लिए मजबूर किया गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब दूसरों को डराने के लिए किया गया।
दरअसल, ये पूरा फ्लोटिला गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के मिशन पर निकला था। इस समूह में 40 से ज्यादा नावें शामिल थीं, जिनमें 437 कार्यकर्ता, सांसद और वकील सवार थे। लेकिन इससे पहले कि फ्लोटिला सहायता पहुंचा पाता, इजरायली सेना ने शुक्रवार को सभी नौकाओं को रोक लिया और सभी को हिरासत में ले लिया।
इस घटना के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मच गया है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इजरायल के रवैये की निंदा की है और पारदर्शी जांच की मांग की है। वहीं, ग्रेटा के समर्थक अब उनकी रिहाई के बाद न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।