WEF यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की नई रिपोर्ट आई है जिसमें दुनिया भर के देशों में महिलाओं और पुरुषों के बीच बराबरी की स्थिति को आंका गया है। इस ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2025 में भारत को झटका लगा है। पिछले साल की तुलना में भारत दो पायदान और फिसल गया है और अब वह 131वें स्थान पर पहुंच गया है। कुल 148 देशों की लिस्ट में भारत दक्षिण एशिया के सबसे पीछे रहने वाले देशों में से एक बन गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने इस साल 64.1 प्रतिशत स्कोर हासिल किया है, जो पिछले साल के मुकाबले कम है। 2024 में भारत 129वें स्थान पर था, इस बार 131वें पर आ गया है। यह रिपोर्ट चार पहलुओं पर देश की रैंक तय करती है:
कामकाज और कमाई को लेकर भारत में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इसमें करीब 0.9% की बढ़ोतरी हुई है। अब भारत का स्कोर 40.7% हो गया है। औरतों और पुरुषों की अनुमानित कमाई में थोड़ा फर्क घटा है, अब ये अंतर 28.6% से कम होकर 29.9% हो गया है। हालांकि, महिलाओं की कामकाजी भागीदारी अब भी 45.9% पर अटकी हुई है, लेकिन अच्छी बात ये है कि ये अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
पढ़ाई के मामले में भारत ने 97.1% स्कोर किया है। यानी महिलाएं अब ज्यादा पढ़-लिख रही हैं, स्कूल और कॉलेज में दाखिला बढ़ा है। सेहत की बात करें तो लिंगानुपात (जन्म के समय लड़के-लड़की का अनुपात) और हेल्दी लाइफ की उम्मीद थोड़ी बेहतर हुई है। मतलब महिलाओं और पुरुषों की हेल्थ क्वालिटी में फर्क थोड़ा घटा है।
सबसे बड़ी चिंता की बात राजनीति है। यहां महिलाओं की मौजूदगी और भी कम हो गई है। संसद में महिलाएं अब सिर्फ 13.8% हैं, जबकि पहले 14.7% थीं। महिला मंत्री सिर्फ 5.6% रह गई हैं, जो पहले 6.5% थीं। 2019 में महिला मंत्री 30% थीं, अब वहां से गिरते-गिरते काफी नीचे आ चुके हैं।
इधर हम गिर रहे हैं, उधर बांग्लादेश तेजी से ऊपर चढ़ रहा है। वो 75 पायदान उछलकर 24वें नंबर पर पहुंच गया है। बाकी देशों की स्थिति देखें तो नेपाल: 125, श्रीलंका: 130, भूटान: 119, मालदीव: 138 और पाकिस्तान आखिरी यानी 148वें स्थान पर है।
दुनिया भर में जेंडर गैप थोड़ा घटा है और अब 68.8% पर पहुंचा है, जो कि कोविड के बाद का सबसे अच्छा सुधार है। लेकिन अब भी पूरी बराबरी आने में 123 साल लगेंगे, अगर हालात ऐसे ही रहे। आइसलैंड लगातार 16 साल से सबसे ऊपर है। उसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड हैं।