
Lipulekh case: भारत और चीन ने मंगलवार को फैसला लिया कि लिपुलेख दर्रे समेत तीन जगहों से सीमा व्यापार दोबारा शुरू किया जाएगा। इन तीन पॉइंट्स में लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), शिपकी ला (हिमाचल) और नाथू ला (सिक्किम) शामिल हैं। कोविड और अन्य वजहों से ये व्यापार काफी समय से बंद था, अब दोनों देशों ने मिलकर इसे फिर से खोलने पर सहमति जताई है।
इस फैसले के अगले ही दिन यानी बुधवार को नेपाल ने आपत्ति जताई। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि लिपुलेख उसका "अविभाज्य हिस्सा" है। नेपाल सरकार ने अपनी तरफ से कहा कि महाकाली नदी के पूर्व में आने वाले लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख उसके अविभाज्य अंग हैं और इसे उसने आधिकारिक नक्शे और संविधान दोनों में शामिल किया है।
दरअसल, नेपाल ने 2020 में एक राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा बताया गया था। इसी नक्शे को लेकर भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद खड़ा हुआ था।
भारत ने नेपाल की इन दलीलों को साफ शब्दों में खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि लिपुलेख दर्रे से भारत-चीन का सीमा व्यापार कोई नई बात नहीं है। यह 1954 से जारी है और दशकों तक बिना किसी विवाद के चलता रहा। केवल हाल के वर्षों में कोविड जैसी वजहों से यह बाधित हुआ था।
भारत ने नेपाल के दावे को नकारते हुए कहा कि लिपुलेख पर नेपाल की बात न तो उचित है और न ही ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि किसी भी तरह के क्षेत्रीय दावे का कृत्रिम विस्तार मान्य नहीं है और न ही स्वीकार्य।
भारत ने यह भी कहा कि वह नेपाल के साथ लंबित सीमा विवाद को बातचीत और कूटनीति के जरिए हल करने के लिए हमेशा तैयार है। लेकिन एकतरफा दावे किसी भी सूरत में मान्य नहीं हैं।