
भारत में कारोबार से जुड़े नियम और कानून समय-समय पर बदलते रहते हैं ताकि व्यापार करना आसान हो और न्याय व्यवस्था पर बोझ कम हो। इसी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में एक अहम विधेयक पेश किया है, जो दिवाला कानून (Insolvency and Bankruptcy Code) में संशोधन से जुड़ा है। इसमें यह प्रस्ताव है कि अगर कोई असली कारोबारी विफलता होती है, तो उसका समाधान अब कोर्ट के बाहर किया जा सकेगा। इससे प्रक्रिया तेज, आसान और सस्ती हो जाएगी।
विधेयक का नाम है दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025। पेश किए जाने के बाद इसे लोकसभा की प्रवर समिति को भेजा गया है। सीतारमण ने बताया कि समिति अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट दे सकती है।
दिवाला कानून 2016 में लाया गया था और तब से इसमें 6 बार बदलाव हो चुके हैं। आखिरी संशोधन 2021 में किया गया था। इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की है, जिसका प्रभार भी सीतारमण के पास है।
मंत्री के मुताबिक, इन संशोधनों का मकसद दिवाला समाधान प्रक्रियाओं में देरी को कम करना और उन्हें ज्यादा असरदार बनाना है। खासकर, लेनदारों की शुरू की गई दिवालियापन समाधान प्रक्रिया को कोर्ट के बाहर निपटाने की व्यवस्था बनाने पर जोर है।
सीतारमण का कहना है कि जब ये बदलाव लागू होंगे, तो अदालतों का बोझ कम होगा, बिजनेस करना आसान होगा और लोन लेना भी आसान हो जाएगा। साथ ही, कारोबारियों को समय और पैसे दोनों की बचत होगी।