ईरान पर इजराइली हमला ट्रंप के 'अमेरिका प्रथम' एजेंडे को पूरा करने की परीक्षा

इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उम्मीद जताई थी कि ईरान पर सैन्य कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी और किसी डील पर सहमति बन जाएगी। लेकिन कुछ घंटों बाद ही इजरायल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू कर दिया।

भाषा
पब्लिश्ड13 Jun 2025, 09:14 PM IST
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)(REUTERS)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर शुक्रवार तड़के इजराइल के हमला करने से कुछ घंटे पहले ही उम्मीद जताई थी कि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर लंबे समय से चल रहा विवाद सैन्य कार्रवाई के बिना हल हो सकता है। अब इजराइल ने 'राइजिंग लायन' सैन्य अभियान शुरू कर दिया है, जिसके बारे में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि 'यह एक निश्चित अवधि तक चलेगा।' और इस तरह अन्य देशों के बीच संघर्षों से अमेरिका को अलग रखने संबंधी ट्रंप के चुनावी वादे की यह एक और परीक्षा होगी।

ट्रंप ने शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'मैंने ईरान को सौदेबाजी करने के लिए कई मौके दिए। मैंने कड़े शब्दों में उनसे कहा, यह कीजिए, लेकिन चाहे उन्होंने कितनी भी कोशिश की हो, चाहे वे कितने भी करीब क्यों न पहुंच गए हों, वे इसे पूरा नहीं कर पाए।'

इजराइली हमले पर ट्रंप प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से नहीं, बल्कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ओर से आई, जो उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं। उन्होंने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि अमेरिका इसमें 'शामिल नहीं था' और रिपब्लिकन पार्टी की सरकार की मुख्य चिंता क्षेत्र में अमेरिकी सेना की सुरक्षा करना है।

रुबियो ने एक बयान में कहा, 'इजराइल ने हमें बताया कि उसका मानना ​​है कि यह कार्रवाई उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी।' बयान में कहा गया है, 'राष्ट्रपति ट्रंप और उनके प्रशासन ने हमारे बलों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं और हमारे क्षेत्रीय भागीदारों के साथ निकट संपर्क में बने हुए हैं। मैं स्पष्ट कर दूं कि ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए।'

हालांकि, हाल के हफ्तों में जब इजराइल ने हमलों की योजना बनाई, तो ईरान ने संकेत दिया था कि इजराइली हमले की स्थिति में अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह चेतावनी ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने दी, जब वह तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के साथ बातचीत कर रहे थे।

ट्रंप ने शुक्रवार को ईरान से अपील की कि वह परमाणु समझौता कर ले, 'इससे पहले कि कुछ भी न बचे और जिसे कभी ईरानी साम्राज्य के रूप में जाना जाता था, उसे बचा ले।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'अब और मौत नहीं, अब और विनाश नहीं, बस कर डालिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।'

ट्रम्प शुक्रवार को 'सिचुएशन रूम' में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ बैठक करने वाले हैं, ताकि आगे की मुश्किल राह पर चर्चा की जा सके। ईरानी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे निर्णायक कार्रवाई के साथ जवाबी कार्रवाई करने का इरादा रखते हैं क्योंकि इजराइली हमलों में ईरान के नातान्ज में मुख्य संवर्धन केंद्र और देश के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के साथ-साथ शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों और अधिकारियों को निशाना बनाया गया।

सीनेटर टिम कैन ने कहा, 'मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि इजराइल ने इस समय हमला क्यों किया, जबकि वह जानता है कि इस सप्ताहांत अमेरिका और ईरान के बीच उच्च स्तरीय कूटनीतिक चर्चा निर्धारित है।' राष्ट्रपति ने पत्रकारों से बातचीत में ईरान से फिर से समझौते पर बातचीत करने की अपील की। उन्होंने आगाह किया कि इसके बिना पश्चिम एशिया में 'बड़ा संघर्ष' छिड़ सकता है।

बाद में उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बात पर जोर दिया कि उनके 'पूरे प्रशासन को ईरान के साथ बातचीत करने का निर्देश दिया गया है।' 'डिफेंस प्रायोरिटीज' में पश्चिम एशिया कार्यक्रम निदेशक रोजमेरी केलानिक ने कहा कि ट्रंप और उनकी टीम के लिए आगे का काम अमेरिकी बलों की रक्षा करना है, जिनपर ईरानी जवाबी कार्रवाई का अत्यधिक जोखिम है।

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