
Karnataka Politics: कर्नाटक में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो, ठेकेदारों की मुश्किलें कभी कम नहीं हुईं। सड़कें टूटी रहती हैं, प्रोजेक्ट अधूरे लटके रहते हैं और ऊपर से रिश्वतखोरी का बोझ अलग। अब कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी वही आवाजें उठ रही हैं, जो पहले बीजेपी राज में गूंजा करती थीं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि राज्य में ऐसा सिस्टम चल रहा है जहां ठेकेदारों को हर बिल पास कराने के लिए आधा कॉन्ट्रैक्ट अमाउंट रिश्वत में देना पड़ता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि विकास के नाम पर मिलने वाले हर ₹100 में से ₹50 मंत्री और अफसर अपनी जेब में रख लेते हैं।
विजयेंद्र के आरोपों से पहले कर्नाटक स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (KSCA) ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि कांग्रेस सरकार में कमीशन दोगुना हो गया है।
एसोसिएशन ने कहा कि जब सिद्धारमैया विपक्ष में थे, तब उन्होंने वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद किसी भी तरह का कमीशन नहीं लिया जाएगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष आर. मंजूनाथ और महासचिव जी.एम. रविंद्र ने लिखा, "जब आप विपक्ष में थे, तब आपने हमें भरोसा दिलाया था कि सरकार में आने के बाद ठेकेदारों के बकाया भुगतान बिना किसी कमीशन के कर दिए जाएंगे। लेकिन अब हालात ये हैं कि पिछली सरकार के मुकाबले सभी विभागों में कमीशन की रकम दोगुनी हो गई है।"
ठेकेदारों का कहना है कि करीब ₹32,000 करोड़ के भुगतान लंबे समय से अटके पड़े हैं। आठ विभागों में दो-दो साल से बिल क्लियर नहीं हुए। जो थोड़ी बहुत रकम मिलती है, वह भी सिर्फ 15-20% होती है और तब मिलती है जब भारी-भरकम रिश्वत दी जाए।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 2017-18 से 2020-21 तक की अतिरिक्त जीएसटी राशि अब तक वापस नहीं की गई। खनन विभाग पर भी ठेकेदारों ने सवाल उठाए हैं कि मामूली कागजी कमी पर गाड़ियों पर ऐसे जुर्माने लगाए जाते हैं जो रॉयल्टी से पांच गुना ज्यादा होते हैं।
एसोसिएशन ने यह भी कहा कि कई विभागों में प्रोजेक्ट सीधे उन ठेकेदारों को दिए जाते हैं जो नेताओं से जुड़े होते हैं। बाद में वही कॉन्ट्रैक्ट असली कंपनियों को सब-कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर थमा दिए जाते हैं। इससे ईमानदार ठेकेदार और छोटे कारोबारी हाशिए पर चले जाते हैं।
यही संगठन 2021 में भी चर्चा में आया था, जब इसने तत्कालीन बीजेपी सरकार पर 40% कमीशन लेने का आरोप लगाया था। उस समय एक ठेकेदार ने आत्महत्या कर ली थी और सुसाइड नोट में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया था। उस घटना ने बीजेपी की चुनावी छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया था।
आज वही माहौल कांग्रेस सरकार के लिए चुनौती बन गया है। ठेकेदारों की आवाज और विपक्ष के आरोप मिलकर सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। खासकर स्थानीय निकाय चुनाव से पहले यह मुद्दा कांग्रेस के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।