
Wife Takes Money Refuses Divorce: केरल में एक शख्स और उसके परिवार को काफी अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। उस शख्स की पत्नी ने तलाक के समझौते पर साइन तो कर दिए, लेकिन समझौते के तहत पैसे और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) मिल गए तो तलाक देने और ससुर का घर खाली करने से मुकर गई। अब इस मामले में केरल हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पति के हक में फैसला सुनाया है।
इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 2011 में शुरू हुआ, जब एक दंपती के बीच रिश्ते खराब होने लगे। महिला ने पति के खिलाफ तीन केस दर्ज कराए, जिनमें उसने अपने सोने के गहने और पैतृक संपत्ति वापस मांगी थी। हालांकि, 2016 में दोनों के बीच एक समझौता हो गया। इस समझौते को ज्यूडिशियल फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मंजूरी भी दे दी। पति ने समझौते की सभी शर्तें पूरी कीं, लेकिन पत्नी अपनी बातों से मुकर गई।
तलाक समझौते में यह तय हुआ था कि पुरुष अपनी पत्नी को एक तय रकम और ज्वाइंट अकाउंट में रखी एफडी देगा। इसके बदले में पत्नी तलाक के कागजों पर साइन करेगी और ससुर का घर खाली कर देगी। पति ने पैसे और एफडी दोनों पत्नी को दे भी दिए, लेकिन पत्नी ने न तो तलाक दिया और न ही घर खाली किया। उसने दावा किया कि उससे धोखे से समझौते पर साइन कराए गए थे और उसे पता नहीं था कि कागजों में क्या लिखा है।
जब महिला ने ससुर का घर खाली नहीं किया, तो ससुर ने उसे निकालने के लिए सिविल कोर्ट में केस दायर कर दिया। वहीं, पति ने तलाक समझौते के आधार पर फैमिली कोर्ट में अर्जी दी। फैमिली कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और महिला के दावों को झूठा पाया। कोर्ट ने कहा कि महिला ने अपनी मर्जी से समझौते के तहत सारे पैसे लिए, लेकिन घर खाली करने की बात आने पर वह मुकर गई। फैमिली कोर्ट ने यह कहते हुए तलाक को मंजूरी दे दी कि कोई भी व्यक्ति इस तरह समझौते से पीछे नहीं हट सकता।
फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने केरल हाई कोर्ट में अपील की। 21 अगस्त, 2025 को हाई कोर्ट ने भी पत्नी की अपील खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने कहा कि यह बात समझ से परे है कि जब महिला ने खुद पैसे और एफडी की रकम स्वीकार की है, तो वह धोखे का आरोप कैसे लगा सकती है। कोर्ट ने पाया कि महिला सिर्फ इसलिए तलाक के लिए राजी नहीं हो रही थी क्योंकि समझौते के तहत उसे अपने ससुर का घर खाली करना पड़ता।
केरल हाई कोर्ट ने साफ कहा, 'पत्नी का यह दावा बेबुनियाद है कि समझौते का जो हिस्सा उसके फायदे का था, वह तो उसने अपनी मर्जी से किया, लेकिन जो हिस्सा उस पर जिम्मेदारी डालता है, वह धोखे से कराया गया। इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता।' कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने स्थिति का सही आकलन किया है। पत्नी समझौते के फायदे लेने के बाद उससे मुकर नहीं सकती। इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी।