
Sonam Wangchuk: केंद्र सरकार ने लद्दाख के जाने-माने पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक के नेतृत्व वाली संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act - FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया है। सरकार के आदेश के अनुसार, संस्था अब विदेश से चंदा या किसी भी तरह की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगी। आरोप है कि एनजीओ ने विदेशी फंडिंग से जुड़े कानून का बार-बार उल्लंघन किया। यह कदम वांगचुक के नेतृत्व में केंद्र शासित प्रदेश में राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के 24 घंटे बाद लिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो ने वांगचुक से जुड़े संस्थानों में FCRA (विदेशी अंशदान विनियमन) कानून के कथित उल्लंघन की जांच शुरू की थी। एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच कुछ समय से चल रही थी, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
वांगचुक ने कहा कि CBI की एक टीम ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑऱ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) और स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SESMOL) का दौरा किया था। इसके साथ ही साल 2022 से 2024 के बीच उन्हें कितना विदेशी धन मिला है, इस बारे में जानकारी मांगी है। वांगचुक का कहना है कि शिकायत में जिन मामलों का ज़िक्र किया गया है, वे सेवा समझौते हैं जिन पर सरकार को विधिवत टैक्स चुकाया गया था। उन्होंने कहा कि ये मामले भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र, स्विस विश्वविद्यालय और एक इतालवी संगठन को नॉलेज एक्सपोर्ट करने से जुड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना 1988 में सोनम वांगचुक ने की थी। यह संस्था लद्दाख में शिक्षा सुधार, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए काम करती रही है। सरकार के इस कदम के बाद लद्दाख में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। सोनम वांगचुक पहले से ही लद्दाख की पर्यावरणीय और संवैधानिक मांगों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं।
मामले में गृह मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था। हिंसक घटनाओं के बीच, उन्होंने अपना उपवास तोड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यापक प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए।