
27 जुलाई, 2025 को कारगिल विजय दिवस के मौके पर जब थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने लद्दाख के द्रास से भारतीय सेना की नई रणनीति का ऐलान किया, तो ये सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं थी, यह भारत की सीमाओं की सुरक्षा में एक नई क्रांति की शुरुआत थी। चीन और पाकिस्तान से सटी सीमा पर पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह के तनाव देखने को मिले हैं, उसने यह स्पष्ट कर दिया कि पारंपरिक सैन्य सोच अब पर्याप्त नहीं। इसी बदलाव की बुनियाद हैं- रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड्स और भैरव लाइट कमांडो बटालियन।
भारतीय सेना अब एकल-शाखा ब्रिगेड की बजाय 'रुद्र ब्रिगेड' की अवधारणा पर आगे बढ़ रही है। ये ब्रिगेड्स ऐसी स्वतंत्र, एकीकृत इकाइयां होंगी जिनमें इन्फेंट्री, मशीनीकृत इकाइयां, टैंक रेजिमेंट, तोपखाना, स्पेशल फोर्स और ड्रोन जैसे आधुनिक संसाधन शामिल होंगे। प्रत्येक रुद्र ब्रिगेड की कमान एक ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी के पास होगी और ये स्थायी रूप से सीमाओं पर तैनात रहेंगी।
अभी तक दो रुद्र ब्रिगेड तैयार की जा चुकी हैं और कई अन्य पारंपरिक ब्रिगेड्स को इस मॉडल में बदला जाएगा। यह बदलाव इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) की अवधारणा को भी नई ऊर्जा देता है, जिसका मकसद सीमित समय में तेज, केंद्रित और निर्णायक हमला करना है।
जहां रुद्र ब्रिगेड्स खुली जंग के लिए तैयार हैं, वहीं भैरव बटालियन उन खामोश मगर असरदार ऑपरेशनों के लिए बनाई जा रही हैं जो दुश्मन का दिल दहला दे। ये बटालियन विशेष रूप से सीमा पार छापेमारी, निगरानी और घात लगाकर हमले जैसी गतिविधियों में माहिर होंगी।
भैरव कमांडो अत्याधुनिक हथियारों, उपकरणों और ड्रोन से लैस होंगे, और उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे दुश्मन की नजरों से बचे रहकर काम कर सकें। सेना का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में 40 से 50 भैरव बटालियन चरणबद्ध तरीके से तैयार की जाएं।
भारतीय सेना अब हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून को शामिल कर रही है। इससे सेना की निगरानी और खुफिया क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा। यह कदम ड्रोन वॉरफेयर के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उठाया गया है, जिससे अब दुश्मन की गतिविधियों पर रियल-टाइम नजर रखी जा सकेगी। साथ ही, दिव्यास्त्र और लोइटरिंग म्यूनिशन जैसी तकनीकों को भी सेना की तोपखाने क्षमता में शामिल किया जा रहा है, जिससे हमलों की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
चीन और पाकिस्तान की वायु क्षमता को देखते हुए भारतीय सेना अपनी वायु रक्षा प्रणाली (ADS) को भी आधुनिक बना रही है। सेना को जल्द ही दो रेजिमेंट आकाश प्राइम मिसाइल और तीन रेजिमेंट QRSAM मिलेंगी।
आकाश प्राइम की 25 किमी और QRSAM की 30 किमी रेंज इन्हें सीमावर्ती इलाकों में तैनाती के लिहाज से बिल्कुल आदर्श है। यह दोनों मिसाइल सिस्टम हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट और ड्रोन जैसे खतरों से मुकाबले के लिए बनाए गए हैं।
चाहे ऑपरेशन सिंदूर जैसी क्रॉस-बॉर्डर ऐक्शन हो या एलएसी पर चीन की आक्रामकता, आज की जंग सिर्फ संख्याबल की नहीं बल्कि तकनीक, रफ्तार और रणनीतिक सोच की भी है। रुद्र ब्रिगेड्स और भैरव कमांडो के जरिए भारतीय सेना यही संदेश दे रही है कि अब देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक नई पीढ़ी की सेना के कंधों पर है, जो स्मार्ट भी है और सशक्त भी।
भारतीय सेना का यह बदलाव केवल एक सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर और आधुनिक सुरक्षा विजन की झलक है। एक ओर रुद्र जैसी यूनिट्स सीमाओं पर फुर्ती से प्रतिक्रिया दे सकती हैं, वहीं दूसरी ओर भैरव जैसी इकाइयां दुश्मन के भीतर तक जाकर उसके मनोबल को तोड़ सकती हैं। आज जब सीमाओं पर चुनौती है, तब यह पहल साबित करती है कि भारत अब सिर्फ जवाब देने के लिए नहीं, बल्कि लहरें बदलने के लिए तैयार है।