
'सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।' सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई के प्रति गुस्से से लबालब वकील ने इसी भाव से जूता उछाल दिया। आरोपी की उम्र 71 वर्ष है और वो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वर्ष 2011 से ही सदस्य हैं। राकेश किशोर नाम के आरोपी को इस बात का रोष है कि सीजेआई गवई ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान भगवान विष्णु को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की और भगवान का मजाक उड़ाया।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जूता कांड होने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने राकेश किशोर को तुरंत हिरासत में ले लिया। आरोपी वकील को जब सुरक्षाकर्मी कोर्ट रूम से बाहर ले जा रहे थे, तब वह जोर से चिल्लाया, 'इंडिया विल नॉट टॉलरेट द इंसल्ट ऑफ सनातन धर्म' (भारत सनातन धर्म का अपमान सहन नहीं करेगा।
कोर्ट रूम में मौजूद एक वकील के अनुसार, राकेश किशोर का जूता जस्टिस विनोद चंद्रन के पास से गुजरा। बाद में आरोपी ने जस्टिस चंद्रन से माफी मांगते हुए कहा कि उनका निशाना चीफ जस्टिस थे। इस घटना से स्पष्ट होता है कि यह कार्रवाई चीफ जस्टिस गवई की टिप्पणी को लेकर सनातन धर्म के अपमान की धारणा से प्रेरित थी।
यह घटना चीफ जस्टिस गवई की सितंबर में की गई एक टिप्पणी के विरोध में हुई है। सीजेआई ने तब मध्य प्रदेश में क्षतिग्रस्त भगवान विष्णु की 7 फुट की मूर्ति की बहाली से जुड़ी एक याचिका को खारिज करते हुए कहा था, 'यह पूरी तरह से प्रचार हित याचिका (पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन) है।
जाइए और भगवान से कहिए कि वह अब स्वयं ही कुछ कर लें। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के घनघोर भक्त हैं, तो जाइए और अब प्रार्थना कीजिए।' इस टिप्पणी की सोशल मीडिया और कुछ हलकों में व्यापक आलोचना हुई थी। बाद में, चीफ जस्टिस गवई ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
इस अप्रत्याशित और नाटकीय घटना पर चीफ जस्टिस गवई के बाद भी सुनवाई जारी रखी। सीजेआई ने कहा, 'इन सब बातों से विचलित मत होइए। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं। सुनवाई जारी रखें।' घटना के बाद उन्होंने कोर्ट के अधिकारियों और सुरक्षा प्रभारी के साथ एक बैठक भी की। पुलिस ने आरोपी वकील को हिरासत में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी है।