
Muttaqi Press Conference Controversy: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी गुरुवार से भारत के दौरे पर आए हुए हैं। वह सात दिनों के दौरे पर भारत आए हैं। इस बीच उन्होंने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। इसमें महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था। इस पर विवाद छिड़ गया। अब इस मामले में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने सफाई दी है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि आमिर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला पत्रकारों को इस प्रेस इंटरैक्शन में शामिल न करने का निर्णय MEA का नहीं था।
MEA की यह टिप्पणी अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति पर उठी आलोचनाओं के बीच आई है। मंत्रालय ने कहा कि यह मुद्दा केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजकों द्वारा तय किया गया था और MEA की कोई भूमिका नहीं थी। बता दें कि अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुट्ठी भर पत्रकार ही शामिल हुए थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की मौजूदगी नहीं देखी गई।
हालांकि, पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय पक्ष ने अफ़ग़ान पक्ष को सुझाव दिया था कि इस कार्यक्रम में आमंत्रित लोगों में महिला पत्रकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए। पीटीआई ने पहले बताया था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को आमंत्रित करने का निर्णय विदेश मंत्री के साथ आए तालिबान अधिकारियों ने लिया था।बता दें कि काबुल में तालिबान शासन ने महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदी लगा दी है। इससे तालिबान शासकों को ग्लोबल लेवल पर संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा है।
अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की गुरुवार को सात दिन के भारत दौरे पर पहुंचे हैं। अपने दौरे के दूसरे दिन उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, मानवीय सहायता और सुरक्षा सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। मुतक्की ने आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का किसी भी हाल में अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।
महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं देने पर पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि जब महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर रखा गया तो पुरुष पत्रकारों को तुरंत विरोध स्वरूप वॉकआउट करना चाहिए था। चिदंबरम ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मैं स्तब्ध हूं कि महिला पत्रकारों को बाहर रखा गया है। पुरुष पत्रकारों को तुरंत वॉकआउट करना चाहिए था।" वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि उनकी सरकार ने इस अपमानजनक स्थिति की अनुमति क्यों दी। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी जी, कृपया स्पष्ट करें कि तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया? क्या आपके महिला अधिकारों के दावे सिर्फ चुनावी नारे हैं?"