पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने तय कर लिया है कि पाकिस्तान को अब हर मोर्चे पर घेरना है। पहले सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया गया, फिर पाकिस्तानी नागरिकों को 1 मई तक देश छोड़ने का आदेश, SAARC वीजा रद्द, और अटारी बॉर्डर बंद कर दिया गया। अब भारत, अन्य देशों के जरिए पाकिस्तान को मिलने वाले भारतीय सामान को पूरी तरह रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। इसके लिए भारत ने बातचीत शुरू कर दी है।
भारत अब यूएई, ओमान, कतर जैसे व्यापारिक साझेदारों से बात कर रहा है, ताकि वे अपने यहां से पाकिस्तान को जाने वाले भारतीय उत्पादों को ब्लॉक करें। साथ ही, दुबई, सिंगापुर और कोलंबो जैसे ट्रांजिट पोर्ट्स पर भी निगरानी कड़ी करने की योजना है। भारत के मुताबिक, ये सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का सवाल है। एक अधिकारी ने कहा, “हमारे कई देशों से मजबूत रिश्ते हैं। हमें उम्मीद है कि अन्य देश हमारी इस कोशिश में साथ देंगे, क्योंकि बात सिर्फ व्यापार की नहीं, इंसानी मूल्यों की भी है।”
हालांकि सूत्र ने यह भी कहा, “चूंकि व्यापारियों को भेजे जा रहे सामान पर 'किस देश से आया है' यानी ‘country of origin’ को लागू करने का कोई पक्का सिस्टम नहीं है, इसलिए ये पूरी तरह उन देशों पर निर्भर करता है कि वे भारत के आग्रह को मानते हैं या नहीं।”
गौरतलब है कि पाकिस्तान फलों, सब्जियों, दवाओं, जैविक रसायनों और चीनी सहित आवश्यक वस्तुओं के लिए काफी हद तक भारत पर निर्भर है।
भले ही भारत-पाकिस्तान के बीच सीधा व्यापार लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन तीसरे देशों के जरिए भारतीय सामान पाकिस्तान तक पहुंच रहा है। यूएई, ओमान, कतर जैसे देश और दुबई, सिंगापुर, कोलंबो जैसे पोर्ट्स इस काम में जरूरी कड़ी बनते हैं।
GTRI के को-फाउंडर अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत से सामान दुबई जैसे देशों में भेजा जाता है। वहां बॉन्डेड वेयरहाउस में रखा जाता है। फिर उसका लेबल और पेपरवर्क बदलकर उसे किसी और देश का बता दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, $1 लाख ( ₹83 लाख) की ऑटो पार्ट्स दुबई भेजी गई, फिर उसे ‘Made in UAE’ बताकर पाकिस्तान में $1.3 लाख ( ₹1.08 करोड़) में बेचा गया। इससे कंपनी को मुनाफा, पाकिस्तान को सप्लाई और भारत को नुकसान।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट कहती है कि हर साल करीब $10 बिलियन (लगभग ₹83,000 करोड़) का भारतीय सामान पाकिस्तान पहुंचता है, वो भी तीसरे देशों के जरिए। ये आंकड़ा, भारत-पाकिस्तान के बीच सीधे व्यापार से 10 गुना ज्यादा है।
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत से पाकिस्तान को भेजा गया सामान 127% बढ़कर $1.21 अरब ( ₹10,000 करोड़) हो गया, जबकि 2023 में ये ₹4,400 करोड़ था। 2020 से अब तक इसमें 300% से ज्यादा की बढ़त हुई है। 2018 में यह आंकड़ा ₹19,500 करोड़ से भी ज्यादा था।
भारत ने 2019 के पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान का ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ दर्जा छीन लिया और 200% का इम्पोर्ट टैक्स लगा दिया। इसका असर ये हुआ कि पाकिस्तान से भारत आने वाला सामान ₹4,540 करोड़ (2019) से घटकर सिर्फ ₹4 करोड़ (2024) रह गया।
हालांकि, पाकिस्तान में दवाओं की जरूरत के चलते भारत से दवाओं का निर्यात जारी रहा। 2025 की वित्तीय साल में भारत ने $208 मिलियन ( ₹1,725 करोड़) की दवाएं भेजीं, जिनमें API (दवा बनाने का कच्चा माल), रेडी फॉर्म्युलेशन, वैक्सीन और जैविक दवाएं शामिल थीं। ये पाकिस्तान की हेल्थ सर्विस के लिए बेहद जरूरी हैं।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए कई कड़े कूटनीतिक फैसले लिए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी हवाई मार्ग बंद कर दिया और सभी द्विपक्षीय व्यापार समझौते निलंबित कर दिए।
इस बार भारत साफ कर चुका है कि अब पाकिस्तान को एक-एक रास्ते से घेरा जाएगा, चाहे वो सामरिक मोर्चा हो, जल समझौता हो या फिर व्यापारिक घेराबंदी। अब लड़ाई सिर्फ बॉर्डर पर नहीं बैकडोर सप्लाई चैन पर भी होगी।