Apara Ekadashi Vrat Katha in hindi: यहां पढ़िए अपरा एकादशी की पूरी कथा, जानिए बन रहे कौन-कौन से शुभ योग

Apara Ekadashi Vrat 2025: अपरा एकादशी व्रत से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे नरक जाने से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रती दिनभर उपवास रखकर भजन-कीर्तन करते हैं। यहां पढ़िए अपरा एकादशी की पूरी व्रत कथा

Anuj Shrivastava
पब्लिश्ड23 May 2025, 07:09 AM IST
अपरा एकादशी संपूर्ण व्रत कथा
अपरा एकादशी संपूर्ण व्रत कथा(HT)

Apara Ekadashi Full Vrat Katha in Hindi: अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, उपवासी व्रत, भजन-कीर्तन और दान का विशेष महत्व है।प द्मपुराण के अनुसार,इस व्रत से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल जीवित व्यक्तियों के लिए,बल्कि प्रेतात्माओं के लिए भी मुक्ति का कारण बनता है। आज उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शाम 4:02 बजे तक रहेगा, और प्रीति योग शाम 6:36 बजे तक बना रहेगा। इन विशेष योगों में अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।

अपरा एकादशी संपूर्ण व्रत कथा:

युधिष्ठिर ने पूछा- जनार्दन!ज्येष्ठके कृष्णपक्षमें किस नामकी एकादशी होती है ? मैं उसका माहात्म्य सुनना चाहता हूं। उसे बताने की कृपा कीजिये।

भगवान् श्रीकृष्ण बोले- राजन् ! तुमने सम्पूर्ण लोकोंके हितके लिये बहुत उत्तम बात पूछी है। राजेन्द्र ! इस एकादशीका नाम 'अपरा' है। यह बहुत पुण्य प्रदान करने वाली और बड़े-बड़े पातकोंका नाश करनेवाली है। ब्रह्महत्यासे दबा हुआ, गोत्रकी हत्या करनेवाला, गर्भस्थ बालक को मारने वाला, परनिन्दक तथा परस्त्रीलम्पट पुरुष भी अपरा एकादशी के सेवन से निश्चय ही पाप रहित हो जाता है। जो झूठी गवाही देता, माप-तोलमें धोखा देता, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता और कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है- ये सब नरकमें निवास करने वाले प्राणी हैं। परन्तु अपरा एकादशी के सेवनसे ये भी पापरहित हो जाते हैं। यदि व क्षत्रिय क्षात्रधर्मका परित्याग करके युद्धसे भागता है, तो वह क्षत्रियोचित धर्म से भ्रष्ट होनेके कारण घोर नरकमें पड़ता है। जो शिष्य विद्या प्राप्त करके स्वयं ही गुरुकी निन्दा करता है, वह भी महापातकों से युक्त होकर भयङ्कर नरक में गिरता है। किन्तु अपरा एकादशीके सेवनसे ऐसे मनुष्य भी सद्गतिको प्राप्त होते हैं।

माघमें जब सूर्य मकर राशिपर स्थित हों, उस समय प्रयाग में स्नान करनेवाले मनुष्यों को जो पुण्य होता है, काशी में शिवरात्रिका व्रत करनेसे जो पुण्य प्राप्त होता है, गया में पिण्डदान करके पितरों को तृप्ति प्रदान करनेवाला पुरुष जिस पुण्यका भागी होता है, बृहस्पति के सिंहराशिपर स्थित होनेपर गोदावरीमें स्रान करनेवाला मानव जिस फलको प्राप्त करता है, बदरिकाश्रमकी यात्रा के समय भगवान् केदार के दर्शन से तथा बदरीतीर्थ के सेवन से जो पुण्य फल उपलब्ध होता है तथा सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दक्षिणा सहित यज्ञ करके हाथी, घोड़ा और सुवर्ण-दान करनेसे जिस फलकी प्राप्ति होती है; अपरा एकादशी के सेवनसे भी मनुष्य वैसे ही फल प्राप्त करता है। 'अपरा' को उपवास करके भगवान् वामन की पूजा करनेसे मनुष्य सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुल्लेकमें प्रतिष्ठित होता है। इसको पढ़ने और सुननेसे सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।

युधिष्ठिर ने कहा-जनार्दन। 'अपरा'का सारा माहात्य मैंने सुन लिया, अब ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी है उसका वर्णन कीजिये।भगवान् श्रीकृष्ण बोले- राजन्! इसका वर्णन परम धर्मात्मा सत्यवतीनन्दन व्यासजी करेंगे; क्योंकि ये सम्पूर्ण शास्त्रों के तत्त्वज्ञ और वेद-वेदाङ्गोंके पारङ्गत विद्वान् हैं।तब वेदव्यासजी कहने लगे -दोनों ही पक्षोंकी एकादशियोंको भोजन न करे । द्वादशीको स्त्रान आदि से पवित्र हो फूलों से भगवान् के शव की पूजा करके नित्य कर्म समाप्त होनेके पश्चात् पहले ब्राह्मणों को भोजन देकर अन्तमें स्वयं भोजन करे। राजन् ! जननाशौच और मरणा शौच में भी एकादशी को भोजन नहीं करना चाहिये।यह सुनकर भीम सेन बोले- परम बुद्धिमान् पितामह । मेरी उत्तम बात सुनिये । राजा युधिष्ठिर, माता न कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव-ये एकादशीको कभी भोजन नहीं करते तथा मुझसे भी ने हमेशा यही कहते हैं कि 'भीमसेन ! तुम भी एकादशी को न खाया करो।' किन्तु मैं इन लोगों से यही कह दिया करता हूं कि 'मुझसे भूख नहीं सही जाएगी।'

अपरा एकादशी की व्रत विधि और महत्व

  • इस दिन उपवासी व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • भजन-कीर्तन करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
  • गरीबों को दान दें और विशेष रूप से अन्न का दान करें।
  • व्रत के दिन सत्य बोलें, अहिंसा का पालन करें और किसी का दिल न दुखाएं।

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