छोटी दिवाली को क्यों कहा जाता है नरक चतुर्दशी? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा को

भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,000 महिलाओं को मुक्त कराया। इस विजय के बाद ब्रह्मांड में शांति स्थापित हुई। छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, इस दिन मनाई जाती है।

Manali Rastogi
पब्लिश्ड16 Oct 2025, 12:24 PM IST
छोटी दिवाली को क्यों कहा जाता है नरक चतुर्दशी? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा को
छोटी दिवाली को क्यों कहा जाता है नरक चतुर्दशी? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा को

छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या काली चौदस भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह दिन दिवाली से एक दिन पहले आता है और दिवाली के 5 दिवसीय त्योहार का दूसरा दिन होता है।

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इस दिन लोग दीप जलाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और मिठाइयां बांटते हैं, जिससे दिवाली की खुशियां शुरू हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि छोटी दिवाली के दिन नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जाता है। लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं, देवताओं की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसाद अर्पित करते हैं। साल 2025 में छोटी दिवाली 19 अक्टूबर, रविवार को मनाई जाएगी।

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है?

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने इस दिन राक्षस राजा नरकासुर का वध किया था। नरकासुर एक क्रूर राक्षस राजा था, जिससे स्वर्ग और पृथ्वी दोनों डरते थे।

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वह पृथ्वी माता (भूदेवी) और भगवान वराह का पुत्र था, लेकिन उसने बुराई का रास्ता चुन लिया। उसने देवताओं को पराजित किया, उनका धन लूट लिया और 16,000 स्त्रियों को कैद कर लिया। उसका राज्य प्राग्ज्योतिषपुर कहलाता था, जहां से वह अत्याचार करता था।

उसके पापों से सारा ब्रह्मांड परेशान हो गया। देवता उसकी अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण से मदद मांगने पहुंचे। भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा (जो भूदेवी का ही रूप थीं) के साथ गरुड़ पर सवार होकर नरकासुर से युद्ध करने गए।

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नरकासुर को यह नहीं पता था कि वह भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण से लड़ रहा है। भयंकर युद्ध हुआ, लेकिन अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से नरकासुर का वध किया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उन 16,000 महिलाओं को मुक्त कराया, जिन्होंने सुरक्षा और सम्मान के लिए उनसे विवाह करने की इच्छा जताई। इस विजय के बाद ब्रह्मांड में फिर से शांति स्थापित हुई और देवताओं के नियम बहाल हो गए।

नरक चतुर्दशी से जुड़े अन्य रीति-रिवाज और कथाएं

  • एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान यमराज की पूजा की जाती है। शाम को "यम दीपक" जलाया जाता है। ऐसा करने से असमय मृत्यु और दुर्भाग्य से रक्षा होती है और यमराज की कृपा प्राप्त होती है।
  • पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत में इस दिन काली पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां काली इसी दिन प्रकट हुई थीं ताकि राक्षसों का नाश कर भक्तों की रक्षा कर सकें। इसलिए लोग इस दिन मां काली की पूजा करते हैं और उनसे सुरक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। मिंट हिंदी इस जानकारी की सटीकता या पुष्टि का दावा नहीं करता। किसी भी उपाय या मान्यता को अपनाने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।)

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