Dhanteras ki Katha in Hindi: धन्वंतरि की इस कथा के बिना अधूरा रहेगी धनतेरस की पूजा, यहां पढ़िए हिंदी में संपूर्ण कहानी

Dhanteras ki Hindi Katha: धनतेरस का पर्व आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन पूजा के साथ धनतेरस की कथा पढ़ने की मान्यता है।

Anuj Shrivastava
अपडेटेड18 Oct 2025, 06:03 PM IST
धनतेरस की कथा
धनतेरस की कथा

Dhanteras ki Hindi Katha: आज देशभर में धनतेरस की पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन लोग झाड़ू से लेकर सोना-चांदी तक खरीदते हैं। हालांकि सोना चांदी खरीदने के अलावा ये पर्व आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का भी है। मान्यता है कि इस दिन पूजा के साथ ही धनतेरस की कथा भी पढ़नी चाहिए। धनतेरस की कथा के बिना ये त्योहार अधूरा माना जाता है। आइए पढ़ते हैं धनतेरस की कथा।

धनतेरस की कथा (Dhanteras Katha in Hindi 2025 )

एक समय की बात है जब मृत्यु के देवता यमराज ने यमदूतों से पूछा की क्या कभी मनुष्य के प्राण लेते वक्त तुमको कभी किसी पर दया आती है। यमदूतों ने कहा, नहीं महाराज हम तो केवल आपके दिए हुए निर्देशों का पालन करते हैं। इस पर यमराज ने कहा कि बेझिझक होकर मुझे बताओ की क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में तुम्हें किसी पर दया आती है। इसका उत्तर देते हुए एक यमदूत ने कहा- एक बार ऐसी घटना हुई है, जिसको देखकर हृदय पसीज गया था। एक दिन हंस नामक राजा शिकार पर निकला था और वह जंगल के रास्ते में भटक गया। इसके बाद, भटकते-भटकते दूसरे राजा की सीमा पर पहुंच गया। उस स्थान पर हेमा नाम का शासक था, उसने पड़ोस के राजा का खूब आदर-सत्कार किया और उसी दिन राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था।

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उस समय ग्रह-नक्षत्र के आधार पर ज्योतिषियों ने बताया कि विवाह के चार बाद ही बालक की मृत्यु हो जाएगी। तब राजा ने यह आदेश दिया कि इस बालक को लेजाकर यमुना तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रख दो और ध्यान रहे कि स्त्रियों की परछाई भी वहां तक न पहुंचे। लेकिन विधि के विधान को कुछ और मंजूर था। संयोगवश एक बार राजा हंस की पुत्री यमुना तट पर पहुंची और वहां राजा के पुत्र को देखा। इसके बाद, दोनों ने गन्धर्व विवाह किया और भविष्यवाणी के अनुसार विवाह के 4 दिन बाद ही राजा के पुत्र की मृत्यु हो गई। यमदूत ने कहा- उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर मेरा हृदय पसीज गया था। सारी बातें सुनने के बाद यमराज ने कहा कि क्या कर सकते हैं यह तो विधि का विधान है और मर्यादा में रहते हुए यह कार्य करना होगा।

यमदूतों ने प्रश्न किया कि क्या ऐसा कोई उपाय है, जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सकता हो। तब यमराज ने कहा- धनतेरस के दिन जो विधि-विधान से पूजा-अर्चना और दीपदान करेगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इसी घटना की चलते धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही, दीपदान भी अवश्य किया जाता है।

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