अपने मासूम बच्चों को लावारिस क्यों छोड़ रहे भारतीय? अमेरिकी बॉर्डर पर गजब खेल चल रहा है

अमेरिका में बसने का सपना कई भारतीय परिवारों से क्या-क्या नहीं करवा रहा है! यकीन करना मुश्किल है, लेकिन लोग इस सपने को सच करने के लिए अपने बच्चों की जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं।

Naveen Kumar Pandey
अपडेटेड30 Apr 2025, 07:27 PM IST
Use of children for illegal immigration: अमेरिका में रहने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं भारतीय (AI Image)
Use of children for illegal immigration: अमेरिका में रहने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं भारतीय (AI Image)(Gemini)

कोई 17 वर्ष का, कोई 12 वर्ष का और कोई तो सिर्फ छह वर्ष का! मेक्सिको बॉर्डर पर तैनात अमेरिका को सिक्यॉरिटी फोर्सेज को ये जो बच्चे मिल रहे हैं, वो भारत के हैं। सवाल है कि भारत की सीमा तो अमेरिका से लगती नहीं है, फिर ये बच्चे अमेरिका की सीमा पर पहुंचे तो कैसे? इसका जो जवाब है, उस पर आप शायद ही विश्वास कर पाएं। दरअसल, ये बच्चे अमेरिकी सीमा पर पहुंचे नहीं, पहुंचाए गए हैं। बड़ी बात ये है कि उन्हें पहुंचाया है किसी मानव तस्कर ने नहीं बल्कि उनके माता-पिता और अपनों ने ही। हैरान रह गए ना आप? चलिए जानते हैं कि आखिर बच्चों को दूर देश में यूं वीराने में लावारिस छोड़ने का खेल किया है।

अमेरिका में बसने का सपना और अपने ही बच्चों से खिलवाड़

यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रॉटेक्शन (USCBP) के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच ऐसे 77 भारतीय बच्चों को अमेरिका से सटी सीमाओं पर लावारिस हालत में पाया है। इनमें 53 बच्चे मेक्सिको जबकि 22 कनाडा से सटी सीमा पर मिले। पकड़े गए बच्चों में ज्यादातर 12 से 17 वर्ष की उम्र के हैं, लेकिन कुछ बच्चे 12 वर्ष से कम और उनमें कुछ छह वर्ष के भी हैं।

कोविड के वक्त भी चलता रहा खेल

यूएससीबीपी के आंकड़ों में 2022 से 2025 के बीच कुल 1,656 भारतीय लावारिस बच्चे अमेरिका की सीमा में घुसने के प्रयास में पकड़े गए। सबसे ज्यादा 730 बच्चे वर्ष 2023 में पकड़े गए थे। फिर 2024 में इनकी संख्या 517 जबकि 2022 में 409 रही थी। वैश्विक महामारी कोविड के असर में यह संख्या थोड़ी कम आई। 2020 में 219 और 2021 में 237 भारतीय बच्चे अमेरिकी सीमाओं पर पकड़े गए। इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सब अमेरिका में रहने का सपना पाले लोग अपने बच्चों को इतनी बड़ी जोखिम में डालते हैं। वो कहते हैं कि ये आंकड़े अपने-आप में एक पैटर्न उजागर कर रहे हैं।

ग्रीन कार्ड की तरह काम करते हैं बच्चे

दरअसल, ये बच्चे उनके मां-बाप के लिए अमेरिकी 'ग्रीन कार्ड' की तरह काम करते हैं। अक्सर मां-बाप अपने बच्चों को भारत में ही छोड़कर जैसे-तैसे जुगाड़ (डंकी रूट) से अमेरिका पहुंच जाते हैं। फिर वो अपने बच्चों को परिजनों से मंगवाते हैं। वो परिजन बच्चों को अमेरिका की सीमा पर छोड़ जाते हैं। बच्चों को अमेरिका में अवैध रूप से घुसे उनके माता-पिता के फोन नंबर और पता लिखकर दे दिया जाता है।

जब सीमा पर तैनात अधिकारी बच्चों को घुसपैठ करने की कोशिश में पकड़ते हैं तो वो उन्हें कोर्ट में पेश करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कानूनी-कार्रवाई के क्रम में अमेरिकी प्रशासन उनके पैरेंट्स से संपर्क करता है। फिर कोर्ट में मुकदमा चलता है तो जज मानवीय आधार पर बच्चों को उनके मां-बाप के पास रहने को भेज देते हैं और यह भी व्यवस्था करते हैं कि नाबालिगों को सरकारी योजनाओं का भरपूर फायदा मिले। बच्चों के मुफ्त में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं।

गुजराती परिवार का हैरतअंगेज कबूलनामा

टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कई गुजराती परिवारों ने अपने अमेरिका प्रवास के लिए बच्चों के इस्तेमाल की बात कबूली। टीओआई की रिपोर्ट में मेहसाणा के एक वकील की स्वीकारोक्ती प्रकाशित की है। उस वकील ने बताया कि वो अपनी पत्नी के साथ 2019 में अवैध रूप से अटलांटा पहुंच गए। उन्हें दो वर्ष का एक लड़का था जिसे उन्होंने भारत में ही छोड़ दिया था। 2022 में जब उनका चचेरा भाई अमेरिका आ रहा था, तब उन्होंने अपने बेटे को साथ लाने को कहा। तब तक बेटा पांच वर्ष का हो गया था। कजन ने बेटे को टेक्सास बॉर्डर के पास छोड़ दिया। फिर वही हुआ जो होना था। बच्चे को सीमा सुरक्षा के लोगों ने पकड़ा। बच्चे के पास माता-पिता का नंबर और पता था ही, वो वहां पहुंच गया।

उदार कानूनों का बेजा फायदा उठा रहे भारतीय

दरअसल, भारतीय यह ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अमेरिकी अदालतें यूं लावारिस मिले बच्चों पर बहुत दया दिखाती हैं। बच्चे नाबालिग होते हैं, इसलिए मामला जुवेनाइल कोर्ट के पास जाता है जो ज्यादातर मामलों में सराकर और प्रशासन को बच्चों की देखभाल का दायित्व सौंप देता है। इतना ही नहीं, कोर्ट के आदेश के छह से आठ महीने के अंदर बच्चों को अमेरिका के ग्रीन कार्ड भी मिल जाते हैं।

एक बार बच्चों को ग्रीन कार्ड्स मिल गए तो फिर उनके मां-बाप प्रशासन के पास आवेदन देते हैं कि वो बच्चों को अपनाना चाहते हैं। इस तरह कुछ वर्षों की जुदाई के बाद पूरा परिवार अमेरिका में साथ रहने लगता है। हालांकि, ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन पॉलिसी पर कड़ी नजर के कारण इस ट्रेंड में कमी देखने को मिल रही है।

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