Inspector Zende movie review: रिलीज हुई मनोज बाजपेयी स्टारर इंस्पेक्टर ज़ेंडे, जानिए कैसा है मूवी रिव्यू

फिल्म में मनोज बाजपेयी ने इंस्पेक्टर ज़ेंडे का किरदार निभाया है, जो कातिल कार्ल भोजराज को पकड़ने का प्रयास करता है। यह एक हल्की-फुल्की थ्रिलर है, जिसमें ह्यूमर प्रमुख है, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी और कहानी में पूर्वानुमानिता है।

Manali Rastogi
अपडेटेड5 Sep 2025, 03:12 PM IST
Inspector Zende movie review
Inspector Zende movie review

निर्देशक: चिन्मय मांडलेकर

कलाकार: मनोज बाजपेयी, जिम सर्भ, सचिन खेड़ेकर, गिरीजा ओक, भालचंद्र कदम

रेटिंग: 3/5

अगर कहा जाता है कि ट्रॉय की हेलेन का चेहरा हजार जहाजों को समुद्र में उतार सकता था, तो मनोज बाजपेयी का चेहरा वह है जो आपको किसी भी असंभव चीज़ पर विश्वास दिला सकता है। उन्हें बस एक स्क्रिप्ट दीजिए, और वो आपको यक़ीन दिला देंगे कि एलियन्स मोहल्ले की पान की दुकान चला रहे हैं और आप सबसे पहले वहां लाइन में खड़े होंगे।

चार्ल्स सोभराज की कहानी

इंस्पेक्टर ज़ेंडे कहीं न कहीं मनोज के द फैमिली मैन वाले श्रीकांत तिवारी की याद दिलाता है, शायद इसलिए क्योंकि किरदार का अंदाज़ कुछ-कुछ वैसा ही है। फिल्म में इंस्पेक्टर ज़ेंडे का मिशन है कातिल कार्ल भोजराज (असल में चार्ल्स सोभराज) को पकड़ना। यह पीछा एक मज़ेदार कॉमेडी अंदाज में दिखाया गया है।

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लेखक और निर्देशक चिन्मय मांडलेकर ने इसे एक सांप-नेवले की लड़ाई जैसा पेश किया है, जैसा खुद ज़ेंडे भी मानते हैं। यह फिल्म असली पुलिस अफसर मधुकर ज़ेंडे की कहानी पर आधारित है, जिन्होंने चार्ल्स को एक बार नहीं बल्कि दो बार पकड़ा था। यह घटना खुद ही बड़ी स्क्रीन पर आने लायक थी।

जो बातें फिल्म में अतिशयोक्ति जैसी लगती हैं, वे कई बार सच निकलती हैं जैसे चार्ल्स की गिरफ्तारी के बाद गोवा से मुंबई लाते वक्त ज़ेंडे ने सच में दो पुलिसवालों को उसके ऊपर ट्रेन में बैठा दिया था।

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फिल्म का माहौल हल्का-फुल्का रखा गया है। मनोज के आस-पास की पुलिस टीम भी उतनी ही अजीबोगरीब और मज़ेदार है। चार्ल्स के खतरनाक अपराध, जिनकी वजह से उसे बिकिनी किलर कहा गया, कहानी में मौजूद रहते हैं, लेकिन फिल्म ह्यूमर पर ज्यादा ध्यान देती है।

फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी रफ्तार है। लगातार चलने वाला पीछा एक समय बाद थकाने लगता है और आप सोचते हैं अब आगे क्या? कहानी की पूर्वानुमानिता भी मज़ा कम कर देती है और ऊर्जा थोड़ी कमजोर पड़ती है।

मनोज बाजपेयी की एक्टिंग

परफॉर्मेंस के मामले में मनोज बाजपेयी हमेशा की तरह दमदार हैं। उन्होंने ज़ेंडे को आकर्षण और मजबूती के साथ निभाया है। जिम सर्भ ने कार्ल का किरदार खूब असरदार बनाया है—स्टाइलिश दिखते हैं, ऐक्सेंट परफेक्ट है और शालीनता के पीछे छिपा डर भी साफ झलकता है। भालचंद्र कदम, ज़ेंडे के साथी के रूप में खूब जंचते हैं। सचिन खेड़ेकर का रोल छोटा है लेकिन असर छोड़ता है।

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इंस्पेक्टर ज़ेंडे कई हिस्सों में मनोरंजक है, खासकर मनोज बाजपेयी की मौजूदगी और बाकी कलाकारों की वजह से। लेकिन दोहराव और धीमी गति इसे उतनी ऊंचाई तक नहीं ले जाते, जितनी इसकी कहानी ले जा सकती थी। 3 स्टार वाली यह फिल्म एक हल्की-फुल्की थ्रिलर है, जिसमें ह्यूमर की अच्छी खुराक है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसके कलाकार हैं, कहानी नहीं।

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