Iran-Israel Conflict: ईरान और इजरायल के बीच चल रहा संघर्ष अब बेहद खतरनाक मोड़ पर आ चुका है। इस संघर्ष में अब तक ईरान के 224 नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें 11 से अधिक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और 14 परमाणु वैज्ञानिक शामिल हैं। इस तबाही से सबसे ज्यादा नुकसान ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को हुआ है, जो अब पूरी तरह से अकेले पड़ते जा रहे हैं।
ईरान की सत्ता और सेना का नियंत्रण सालों से खुमैनी के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा है, लेकिन अब वह अपने सबसे विश्वसनीय सहयोगियों को एक-एक कर खो चुके हैं। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुमैनी तेहरान के में एक अंडरग्राउंड बंकर में परिवार समेत छिपे हैं।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अमेरिका को खुमैनी की लोकेशन की पूरी जानकारी है, लेकिन फिलहाल उसे मारने का इरादा नहीं है। ट्रंप ने कहा, "हम जानते हैं तथाकथित 'सुप्रीम लीडर' कहां छिपे हैं। हम उन्हें अभी नहीं मारेंगे... लेकिन हमारा सब्र खत्म हो रहा है।"
इजरायल ने पिछले छह दिनों में किए गए हमलों में ईरान के कई टॉप सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया है। इनमें मेजर जनरल अली शादमानी का नाम है, जिन्हें खामेनेई का सबसे भरोसेमंद कमांडर माना जाता था। इस हमले के बाद मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी, जो 2016 से ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ थे, एक मिसाइल हमले में मारे गए।
इसके अलावा IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी, जो अमेरिका और इजरायल के खिलाफ सबसे सख्त माने जाते थे, भी मारे गए। इस सूची में जनरल गुलाम अली राशिद, जो ईरान के संयुक्त सैन्य अभियानों का नेतृत्व कर रहे थे, और कमांडर आमिर अली हाजीजादेह, जो ईरान के मिसाइल प्रोग्राम के प्रमुख थे, भी शामिल हैं।
खुफिया प्रमुख मोहम्मद काजेमी, डिप्टी इंटेलिजेंस हेड गुलामरेजा मेहराबी, और ऑपरेशंस के उप कमांडर मेहदी रब्बानी की मौत ने ईरान की रणनीतिक रीढ़ को ही तोड़ कर रख दिया है। इनके अलावा, मोहसिन बघेरी, दाऊद शेखीयान, मोहम्मद बाकर ताहेरपुर, मंसूर सफरपुर, मसूद तैयब, खोसरो हसनी, मोहम्मद जाफरी और जवाद जर्सारा जैसे कई ब्रिगेडियर जनरल भी मारे गए हैं।
इस जंग में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को भी जबरदस्त नुकसान हुआ है। इजरायली मीडिया के मुताबिक, पिछले शुक्रवार से अब तक 14 बड़े परमाणु साइंटिस्ट मारे जा चुके हैं। ये सभी लोग ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभा रहे थे।
सबसे बड़ा नाम फरेदून अब्बासी का है, जो पहले ईरान की एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के चीफ और सांसद रह चुके थे। इनके अलावा मोहम्मद मेहदी (फिजिक्स एक्सपर्ट), अकबर मुतलेबी जादेह (केमिकल इंजीनियर), सईद बार्जी (मैटेरियल इंजीनियर), अहमद रजा जोल्फगारी दरयानी (न्यूक्लियर इंजीनियर), और अली बाखूई कतिरीमी (मैकेनिकल इंजीनियर) भी मारे गए हैं।
तीन और जाने-माने भौतिकी वैज्ञानिक (फिजिक्स एक्सपर्ट) अमीर हसन फखाही, अब्दुल हमीद मिनूशेहर, और मंसूर असगरी की भी इस लड़ाई में जान चली गई। इसके अलावा, डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरांची, जो ईरान के एएमएडी न्यूक्लियर प्रोजेक्ट से जुड़े थे और तेहरान की इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट थे, वो भी इस हमले में मारे गए।
एक और बड़ा नाम सैयद अमीर हुसैन फेगही का है, जो ईरान की एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइजेशन के डिप्टी हेड थे। उन्हें भी मिसाइल हमले में मार दिया गया।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी चैनल ABC News को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर ईरान के सुप्रीम लीडर खुमैनी मारे जाते हैं, तो यह जंग वहीं खत्म हो जाएगी। उनके अनुसार, ईरान की शक्ति का असली केंद्र वही हैं, और उनका अंत इस लड़ाई का अंत होगा।
अब तक के इस संघर्ष में यह साफ हो चुका है कि खामेनेई की सेना और वैज्ञानिक नेटवर्क को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। अब उनके पास न भरोसेमंद सेनापति बचे हैं और न ही तकनीकी दिमाग। वह खुद एक बंकर में छिपे हुए हैं और अमेरिका-इजरायल खुले तौर पर उन्हें चेतावनी दे चुके हैं।
ट्रंप की कड़ी चेतावनी ने हालात को और मुश्किल बना दिया है। अब यह देखना है कि ईरान इन सबका कैसे जवाब देता है और क्या इस सबके बीच खामेनेई को बख्शा जाएगा या नहीं।