
ABVP vs Left student groups in JNU: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि वामपंथी छात्र समूहों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा पर हमला किया, जबकि वामपंथी संगठनों ने एबीवीपी पर राजनीतिक प्रचार के लिए रावण दहन कार्यक्रम के जरिए धर्म का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर जेएनयू प्रशासन की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
एबीवीपी ने एक बयान में कहा कि आइसा, एसएफआई और डीएसएफ समेत वामपंथी समूहों ने शाम करीब सात बजे साबरमती टी-पॉइंट के पास विसर्जन शोभायात्रा पर हमला किया। एबीवीपी ने दावा किया कि पथराव और दुर्व्यवहार में कई छात्र और छात्राएं घायल हो गए।
एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष मयंक पांचाल ने कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन पर हमला नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की उत्सव परंपरा और छात्रों की आस्था पर सीधा हमला है। एबीवीपी किसी भी कीमत पर इस तरह की आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगी। एबीवीपी के जेएनयू मंत्री प्रवीण पीयूष ने आरोप लगाया कि दुर्गा विसर्जन जैसे पवित्र अनुष्ठान के दौरान पथराव और यहां तक कि छात्राओं पर हमला करना निंदनीय और शर्मनाक है। उन्होंने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की।
हालांकि, वाम दलों से संबद्ध ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और एबीवीपी पर राजनीतिक प्रचार के लिए धर्म का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
आइसा ने एक बयान में कहा कि एबीवीपी रावण दहन का आयोजन कर रही थी, जिसमें जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम को रावण के रूप में चित्रित किया गया था। दोनों पर सीएए विरोधी प्रदर्शनों और दिल्ली दंगों की कथित साजिश के संबंध में मुकदमा चल रहा है।आइसा ने कहा कि ये इस्लामोफोबिया का एक नृशंस प्रदर्शन है, जिसमें राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण किया जा रहा है।आइसा ने एबीवीपी से पूछा कि उसने नाथूराम गोडसे, गुरमीत राम रहीम या 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोपी नेताओं को (रावण के रूप में चित्रित करने के लिए) क्यों नहीं चुना।