
Karwa Chauth Katha: आज 10 अक्तूबर को करवा चौथ का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। रात में महिलाएं चांद की विधि विधान से पूजा करती हैं। करवा चौथ की पूजा के दौरान उसकी कथा को पढ़ना और सुनना भी काफी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि बिना कथा को सुने ये व्रत पूरा नहीं होता है।
प्राचीन काल में एक अन्धी बुढ़िया रहती थी जिसका एक पुत्र और बहू थी। बुढ़िया का परिवार बहुत गरीब था। वह अंधी बुढ़िया रोजाना गणेश जी की विधि विधान पूजा किया करती थी। बुढ़िया की भक्ति देखकर गणेश जी प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे दर्शन दिए। भगवान ने कहा कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं, जो वर मांगना है वो मांग लें। बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। तब गणेश जी बोले बहू- बेटे से पूछकर मांग लो। तब बुढिया ने अपने पुत्र और वधु से पूछा तो बेटा ने धन मांगने के लिए कहा और बहू ने पोता मांगने के लिए कहा। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। फिर बुढ़िया ने अपने पड़ोसियों से पूछा तो पड़ोसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। क्यूं मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी बाकी की जिंदगी सुख से व्यतीत हो।
उस बुढ़िया ने बेटे और बहू तथा पड़ोसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिससे सभी का भल हो जाए। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आये तो बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले बुढ़िया माई तूने तो मुझे ठग लिया। खैर जो कुछ तूने मांगा है वह सभी तुझे मिलेगा। ऐसा कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये और बुढ़िया का जीवन सुख से भर गया। हे गणेश जी! जैसे बुढिया माई को आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना। और हमको भी देने की कृपा करना।
एक नगर में साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहिन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहिन ने उत्तर दिया भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर भोजन करूंगी। बहिन की बात सुनकर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्होने बहिन से कहा- बहिन ! चांद निकल आया है अर्घ्य देकर भोजन जीम लो। यह सुन उसने अपनी भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे लो, परन्तु वे इस काण्ड को जानती थीं उन्होने कहा बहिन जी! अभी चांद नहीं निकला, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं।
भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया। जब उसको अपने किए हुए दोषों को पता लगा तो उसने पश्चाताप किया। गणेश जी की प्रार्थना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया श्रद्धानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया।
इस प्रकार उसके श्रद्धा-भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान् गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान देकर उसे आरोग्य करने के पश्चात् धन-सम्पत्ति से युक्त कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे वे सब प्रकार से सुखी हाते हुए क्लेशों से मुक्त हो जाएगा।
| शहर | चांद निकलने का समय |
|---|---|
| दिल्ली | रात 08:13 बजे |
| नोएडा | रात 08:12 बजे |
| गुरुग्राम | रात 08:14 बजे |
| भोपाल | रात 08:26 बजे |
| हरिद्वार | रात 08:05 बजे |
| इंदौर | रात 08:34 बजे |
| भुवनेश्वर | शाम 07:58 बजे |
| रायपुर | रात्रि 08:01 बजे |
| लखनऊ | रात 08:02 बजे |
| कानपुर | रात 08:06 बजे |
| गोरखपुर | रात 07:52 बजे |
| प्रयागराज | रात 08:02 बजे |
| मुंबई | रात 08:55 बजे |
| कोलकाता | रात 07:42 बजे |
| चेन्नई | रात 08:38 बजे |
| देहरादून | रात 08:05 बजे |
| चंडीगढ़ | रात 08:09 बजे |
| जयपुर | रात 08:23 बजे |
| पटना | रात 07:48 बजे |
| जम्मू | रात 08:11 बजे |
| गांधीनगर | रात 08:46 बजे |
| अहमदाबाद | रात 08:47 बजे |
| शिमला | रात 08:06 बजे |