
BCCI new President Mithun Manhas: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का नेतृत्व अब एक और पूर्व क्रिकेटर के हाथ में आ गया है। रविवार को मुंबई में हुई वार्षिक आम बैठक (AGM) में मिथुन मन्हास को सर्वसम्मति से BCCI का अध्यक्ष चुना गया। मन्हास इस अहम पद पर चुने जाने वाले लगातार तीसरे क्रिकेटर बने हैं। उनसे पहले सौरव गांगुली और रोजर बिन्नी यह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
45 साल के मन्हास को AGM में बिना किसी विरोध के अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने रोजर बिन्नी की जगह ली है और अब भारतीय क्रिकेट के प्रशासन को आगे बढ़ाने का जिम्मा उनके कंधों पर है। AGM से पहले शनिवार को हुई बैठकों में ही यह तय माना जा रहा था कि मन्हास इस दौड़ में सबसे आगे हैं।
AGM में सिर्फ अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि बोर्ड की पूरी नई टीम सामने आई। राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष बने, देवजीत सैकिया को सचिव का पद मिला, प्रभतेज सिंह भाटिया को जॉइंट सेक्रेटरी चुना गया। वित्तीय जिम्मेदारी की कमान अब ए. रघुराम भट संभालेंगे, जिन्हें कोषाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा जयदेव निरंजन शाह एपेक्स काउंसिल में शामिल हुए। अरुण सिंह धूमल और एम. खैरुल जमाल मजूमदार को गवर्निंग काउंसिल में जगह मिली।
मिथुन मन्हास डोमेस्टिक क्रिकेट के जाने-माने क्रिकेटर रह चुके हैं। 1997-98 में डेब्यू करने वाले मन्हास ने दिल्ली रणजी टीम की कप्तानी की और 2007-08 में टीम को चैंपियन भी बनाया। उसी सीजन में उन्होंने 921 रन ठोककर अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। विराट कोहली ने भी अपनी घरेलू क्रिकेट की शुरुआत उन्हीं की कप्तानी में की थी।
उन्होंने अपने करियर में 157 फर्स्ट क्लास मैच खेले और 9714 रन बनाए। रणजी ट्रॉफी में उनके 8554 रन हैं, जो इतिहास में सातवें नंबर पर हैं। आईपीएल में भी उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स, पुणे वॉरियर्स और चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए खेला। इसके अलावा वह पंजाब, बांग्लादेश अंडर-19, आरसीबी और गुजरात टाइटन्स की कोचिंग टीम से भी जुड़े रहे।
सिर्फ खिलाड़ी और कोच ही नहीं, बल्कि मन्हास प्रशासनिक अनुभव भी साथ लाए हैं। वह जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में क्रिकेट ऑपरेशंस डायरेक्टर रह चुके हैं। यही वजह है कि उनसे उम्मीद की जा रही है कि वह भारतीय क्रिकेट प्रशासन में नई ऊर्जा और संतुलन लेकर आएंगे।
मिथुन मन्हास का अध्यक्ष बनना भारतीय क्रिकेट के लिए एक नई शुरुआत है। गांगुली और बिन्नी के बाद अब वह क्रिकेट प्रशासन में खिलाड़ियों की सीधी भागीदारी की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। उनकी कप्तानी, बल्लेबाजी और कोचिंग का अनुभव भारतीय क्रिकेट को नए मुकाम तक ले जाने में मददगार साबित हो सकता है।