Navratri 2025 Day 7: कौन हैं मां कालरात्रि? जानिए व्रत कथा, महत्व, इस माता रानी को लगाएं ये भोग

नवरात्रि 2025 का महा सप्तमी दिन मां कालरात्रि की पूजा का है। भक्त नारंगी रंग पहनकर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। मां कालरात्रि बुराई का नाश कर शक्ति और साहस प्रदान करती हैं।

Manali Rastogi
पब्लिश्ड29 Sep 2025, 06:39 AM IST
An artist gives final touches to an idol of Goddess Durga in various Maa Kalaratri form ahead of the Navratri festival
An artist gives final touches to an idol of Goddess Durga in various Maa Kalaratri form ahead of the Navratri festival

Navratri 2025 Day 7: नवरात्रि भारत का एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नौ दिनों तक चलता है और इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।

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नवरात्रि के सातवें दिन को महा सप्तमी कहा जाता है। इस दिन भक्त मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा करते हैं। मां कालरात्रि मां पार्वती का सबसे उग्र और शक्तिशाली रूप मानी जाती हैं। इस दिन विशेष पूजा, प्रार्थना, भोग और एक खास रंग धारण करके मां की कृपा प्राप्त की जाती है।

जानिए मां कालरात्रि के बारे में

मां कालरात्रि को साहस और शक्ति की देवी माना जाता है। उनका गहरा रंग और भयावह रूप इस बात का प्रतीक है कि वे बुराई का नाश कर अंधकार को मिटाती हैं। उन्हें दुष्ट शक्तियों का संहार करने वाली और अपने भक्तों की रक्षा करने वाली देवी कहा गया है।

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मां कालरात्रि की व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, जब शुंभ और निशुंभ नामक दैत्य चंड, मुण्ड और रक्तबीज की सहायता से देवताओं को पराजित करने लगे, तब देवताओं ने देवी शक्ति से प्रार्थना की। मां चंडी ने कुछ दैत्यों का वध किया लेकिन बाकी के संहार के लिए मां पार्वती के ललाट से मां कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। उन्होंने चंड और मुण्ड का वध किया और रक्तबीज का रक्त पीकर उसकी अनेक प्रतियां बनने से रोक दिया। अंततः उन्होंने दैत्यों का नाश कर देवताओं को मुक्ति दिलाई।

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मां कालरात्रि गधे पर सवार होती हैं। उनके चार हाथ हैं। दो हाथों में वे वर और अभय मुद्रा में होती हैं, जो आशीर्वाद और सुरक्षा का प्रतीक है। बाकी दो हाथों में वे तलवार और लोहे का कांटा धारण करती हैं जिससे वे राक्षसों का नाश करती हैं। उनका नाम ही इस बात का द्योतक है “काल” यानी मृत्यु और “रात्रि” यानी अंधकार, अर्थात अंधकार का अंत।

मां कालरात्रि का महत्व

भक्त मां कालरात्रि की पूजा भय, नकारात्मकता और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए करते हैं। माना जाता है कि उनकी कृपा से भक्त को साहस, आध्यात्मिक ज्ञान और समृद्धि प्राप्त होती है। वे बुरी शक्तियों का नाश कर अपने भक्तों को सुरक्षित रखती हैं।

सप्तमी का शुभ रंग

द्रिक पंचांग के अनुसार सप्तमी का शुभ रंग नारंगी है। नारंगी रंग साहस, ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का प्रतीक है। भक्त इस दिन नारंगी वस्त्र पहनकर मां की पूजा करते हैं, जिससे जीवन में आत्मविश्वास और स्पष्टता आती है।

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सप्तमी का भोग

इस दिन मां कालरात्रि को गुड़ और उससे बने मीठे व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। यह भोग भक्तों के जीवन में शक्ति, सकारात्मकता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। सप्तमी के दिन कई भक्त उपवास भी रखते हैं और पूरे दिन मां की आराधना करते हैं। इस दिन की पूजा और भोग से मां कालरात्रि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भक्त उनके आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों, भय और अंधकार से मुक्त होकर नई शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त करते हैं।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। मिंट हिंदी इस जानकारी की सटीकता या पुष्टि का दावा नहीं करता। किसी भी उपाय या मान्यता को अपनाने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।)

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