Navratri Day 4: माता कूष्माण्डा को प्रसन्न करने के लिए करें इस मंत्र का जाप, जानिए व्रत कथा और पूजा विधि

Navratri Day 4: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा होती है। भक्त इस दिन उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। मां कूष्माण्डा को ब्रह्मांड की ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत माना जाता है।

Manali Rastogi
अपडेटेड24 Sep 2025, 05:45 PM IST
Navratri Day 4: माता कूष्माण्डा को प्रसन्न करने के लिए करें इस मंत्र का जाप, जानिए व्रत कथा और पूजा विधि
Navratri Day 4: माता कूष्माण्डा को प्रसन्न करने के लिए करें इस मंत्र का जाप, जानिए व्रत कथा और पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्माण्डा रूप की पूजा होती है। इस दिन भक्त माता कूष्माण्डा की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। नवरात्रि के दिन मां दुर्गा की पूजा के लिए सबसे पवित्र माने जाते हैं। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस साल नवरात्रि का चौथा दिन 25 सितंबर को मनाया जाएगा।

क्या है महत्व?

नवरात्रि के दिन साल के सबसे शुभ दिन माने जाते हैं। हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप को समर्पित होता है। चौथा दिन मां कूष्माण्डा को समर्पित है।

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‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘उष्मा’ का अर्थ है ऊर्जा और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांड। माना जाता है कि मां कूष्माण्डा ने मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को प्रकाश से भर दिया।

मां कूष्माण्डा सिंह पर सवार होती हैं और उनके आठ हाथ होते हैं।

  • दाहिने हाथों में – कमल, कमंडल, धनुष और बाण।
  • बाएं हाथों में – अमृत कलश, जपमाला, गदा और चक्र।

इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। मां कूष्माण्डा अनाहत चक्र (हृदय चक्र) की अधिष्ठात्री देवी हैं। माना जाता है कि इस दिन जो लोग चिंता, उदासी, भय या पछतावे से गुजर रहे हों, वे मां कूष्माण्डा की पूजा करके राहत पा सकते हैं।

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माता को प्रसन्न करने के लिए पीले फूल, चूड़ियां, चुनरी और साड़ी चढ़ाई जाती है, क्योंकि पीला रंग मां कूष्माण्डा को प्रिय है।

यहां पढ़िए व्रत कथा

कहानी के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई तब चारों ओर अंधकार था। तभी मां कूष्माण्डा ने मुस्कराकर पूरे ब्रह्मांड में प्रकाश फैला दिया। उन्होंने ही शून्य से इस सृष्टि का निर्माण किया। मां कूष्माण्डा को ही ब्रह्मांड की ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत माना जाता है। यह भी विश्वास है कि सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश मां कूष्माण्डा से ही प्राप्त होता है।

जानिए पूजा विधि

  • प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  • देसी घी का दीपक जलाएं और मां को सिंदूर व फूलों की माला अर्पित करें।
  • पांच प्रकार के मौसमी फल, मीठा पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
  • दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • मां से जुड़े मंत्रों का जाप करें।
  • आरती करें और भोग-प्रसाद अर्पित करें।
  • संध्या के समय व्रत तोड़ने से पहले आरती करें।
  • व्रत खोलते समय सात्त्विक भोजन ही करें।

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मां कूष्माण्डा मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। मिंट हिंदी इस जानकारी की सटीकता या पुष्टि का दावा नहीं करता। किसी भी उपाय या मान्यता को अपनाने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।)

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