पापांकुशा एकादशी आज, क्या इस बार है भद्रा का साया, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, यहां पढ़िए व्रत कथा

पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Manali Rastogi
पब्लिश्ड3 Oct 2025, 07:35 AM IST
पापांकुशा एकादशी आज, क्या इस बार है भद्रा का साया, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, यहां पढ़िए व्रत कथा
पापांकुशा एकादशी आज, क्या इस बार है भद्रा का साया, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, यहां पढ़िए व्रत कथा

Papankusha Ekadashi 2025: आज 3 अक्टूबर को एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करने से पापों का नाश होता है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है।

भद्रा का प्रभाव

इस साल इस तिथि पर भद्रा की छाया भी रहेगी। पंचांग के अनुसार, भद्रा सुबह 6:57 से शाम 6:32 बजे तक रहेगी। भद्रा उस समय मानी जाती है जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुम्भ या मीन राशि में रहता है। 3 अक्टूबर को चंद्रमा रात 9:27 बजे तक मकर राशि में रहेगा और उसके बाद कुम्भ में प्रवेश करेगा। इसलिए भद्रा का कोई असर नहीं होगा।

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पूजा के शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:38 से 5:26 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त – 11:46 से 12:34 बजे तक
  • विजय मुहूर्त – 2:08 से 2:55 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त – 6:05 से 6:29 बजे तक
  • अमृत काल – रात 10:56 से 12:30 बजे तक (4 अक्टूबर)
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 6:15 से 9:34 बजे तक
  • रवि योग – 6:15 से 9:34 बजे तक

चौघड़िया मुहूर्त

  • लाभ (उन्नति) – 7:44 से 9:12 बजे तक
  • अमृत (श्रेष्ठ) – 9:12 से 10:41 बजे तक
  • शुभ (मंगलकारी) – 12:10 से 1:39 बजे तक
  • चर (सामान्य) – 4:36 से 6:05 बजे तक

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जान लीजिये मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ नमो नारायणाय

ॐ विष्णवे नमः

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मी नारायणाय नमः

जानिए पूजा विधि

  • स्नान के बाद घर के मंदिर को साफ और पवित्र करें।
  • भगवान विष्णु को जल से जलाभिषेक करें।
  • पंचामृत और गंगाजल से भगवान का अभिषेक करें।
  • व्रत करने का संकल्प लें और यथासंभव उपवास करें।
  • पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • भगवान को तुलसी दल के साथ भोग अर्पित करें।
  • अंत में क्षमा याचना कर पूजा समाप्त करें।

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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार विंध्याचल पर्वत पर कृत्यधनु नामक एक शिकारी रहता था। वह बहुत निर्दयी और पापी था। उसका जीवन हिंसा और क्रूरता से भरा था। बुढ़ापे में जब मृत्यु समीप आई तो उसे डर सताने लगा। वह पर्वत छोड़कर एक आश्रम में पहुंचा और वहां महर्षि अंगिरा से मिला।

महर्षि ने उससे पूछा, “हे पुत्र, अब तक तुमने केवल पाप किए हैं, परंतु यदि इस जन्म में मोक्ष चाहते हो तो पापांकुशा एकादशी का व्रत करो और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो जाओ।” शिकारी ने महर्षि की आज्ञा मानकर पूरे नियम-विधान से पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा। उसने उपवास किया, कथा सुनी और भगवान पद्मनाभ (विष्णु) का ध्यान किया।

व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए। मृत्यु के समय विष्णुदूत स्वर्ण रथ लेकर उसे वैकुण्ठ ले गए। इस प्रकार पापी भी यदि श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करे तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत व्यक्ति को स्वर्ग और अंततः मोक्ष की ओर ले जाता है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। मिंट हिंदी इस जानकारी की सटीकता या पुष्टि का दावा नहीं करता। किसी भी उपाय या मान्यता को अपनाने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।)

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