
Papankusha Ekadashi 2025: आज 3 अक्टूबर को एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करने से पापों का नाश होता है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है।
इस साल इस तिथि पर भद्रा की छाया भी रहेगी। पंचांग के अनुसार, भद्रा सुबह 6:57 से शाम 6:32 बजे तक रहेगी। भद्रा उस समय मानी जाती है जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुम्भ या मीन राशि में रहता है। 3 अक्टूबर को चंद्रमा रात 9:27 बजे तक मकर राशि में रहेगा और उसके बाद कुम्भ में प्रवेश करेगा। इसलिए भद्रा का कोई असर नहीं होगा।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायणाय
ॐ विष्णवे नमः
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मी नारायणाय नमः
पौराणिक कथा के अनुसार विंध्याचल पर्वत पर कृत्यधनु नामक एक शिकारी रहता था। वह बहुत निर्दयी और पापी था। उसका जीवन हिंसा और क्रूरता से भरा था। बुढ़ापे में जब मृत्यु समीप आई तो उसे डर सताने लगा। वह पर्वत छोड़कर एक आश्रम में पहुंचा और वहां महर्षि अंगिरा से मिला।
महर्षि ने उससे पूछा, “हे पुत्र, अब तक तुमने केवल पाप किए हैं, परंतु यदि इस जन्म में मोक्ष चाहते हो तो पापांकुशा एकादशी का व्रत करो और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो जाओ।” शिकारी ने महर्षि की आज्ञा मानकर पूरे नियम-विधान से पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा। उसने उपवास किया, कथा सुनी और भगवान पद्मनाभ (विष्णु) का ध्यान किया।
व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए। मृत्यु के समय विष्णुदूत स्वर्ण रथ लेकर उसे वैकुण्ठ ले गए। इस प्रकार पापी भी यदि श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करे तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत व्यक्ति को स्वर्ग और अंततः मोक्ष की ओर ले जाता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। मिंट हिंदी इस जानकारी की सटीकता या पुष्टि का दावा नहीं करता। किसी भी उपाय या मान्यता को अपनाने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।)