प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैंडराइटिंग कभी देखी क्या? RSS मुख्यालय का विजिटर्स बुक देख लीजिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने नागपुर स्थित संस्था के मुख्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने विजिटर्स बुक पर कुछ बातें लिखी हैं।

Naveen Kumar Pandey
अपडेटेड30 Mar 2025, 11:18 AM IST
आरएसएस मुख्यालय के विजिटर्स बुक पर पीएम मोदी ने कुछ लिखा (AI Image)
आरएसएस मुख्यालय के विजिटर्स बुक पर पीएम मोदी ने कुछ लिखा (AI Image)(ChatGPT)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लिखावट कैसी है? कई जगह विजिटर्स डायरी पर लिखते उनका वीडियो तो देखा है, लेकिन करीब से उनकी लिखावट नहीं देख पाए तो आज वह भी देख लीजिए। प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय गए तो वहां आगंतुक पुस्तिका (Visitors Book) में उन्होंने हेडगेवार के श्रद्धांजलि में कुछ पंक्तियां लिखीं। केशव बलिराम हेडगेवार ही आरएसएस के संस्थापक थे। आरएसएस की स्थापना और हिंदू जनजागृति के अभियान में हेडगेवार के साथ माधव सदाशिव गोलवलकर ने भी अग्रणी भूमिका निभाई थी जो गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध हुए।

पीएम मोदी ने डायरी पर क्या लिखा?

प्रधानमंत्री ने हेडगेवार और गोलवलकर को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'परमपूजनीय डॉ. हेडगेवार जी और पूज्य गुरुजी को शत-शत नमन। उनकी स्मृतियों को संजोते इस स्मृति मंदिर में आकर अभिभूत हूं।' पीएम ने दोनों को भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन शक्ति के मूल्यों पर आधारित आरएसएस के दो प्रमुख स्तंभ बताए। पीएम ने आगे लिखा, 'भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन शक्ति के मूल्यों को समर्पित यह स्थली हमें राष्ट्र की सेवा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। संघ के इ दो मजबूत स्तंभों की यह स्थली देश की सेवा में समर्पित लाखों स्वयंसेवकों के लिए ऊर्जा पुंज है।'पीएम ने श्रद्धांजलि की आखिरी पंक्ति में कहा, ‘हमारे प्रयासों से मां भारती का गौरव सदा बढ़ता रहे।’

आरएसएस की राजनीतिक शाखा है बीजेपी

आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 में हिंदू नववर्ष के अवसर पर नागपुर में हुई थी। देश अंग्रेजी दासता से मुक्ति से पहले से ही सांप्रदायिक आधार पर बंटने लगा था। ऐसे में सदियों की गुलामी झेल चुके इस देश और यहां की हिंदू जनता को एकजुट करने के लिए आरएसएस का गठन हुआ। तब से आरएसएस के स्वयंसेवक लगातार हिंदू जागरण के कार्य में जुटे हुए हैं। 27 सितंबर, 1925 को आरएसएस की स्थापना के 26 वर्ष बाद 21 अक्टूबर, 1951 को इसकी राजनीतिक शाखा के रूप में जनसंघ की स्थापना हुई थी। देश में आपातकाल लागू किए जाने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ एकजुट हुए विरोधी दलों ने जनता पार्टी का गठन किया तो जनसंघन ने उसमें खुद का विलय कर लिया। फिर 6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) अस्तित्व में आई जो 2014 से लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में है और तब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं।

आरएसएस-बीजेपी के बीच मिटती दूरियां

2024 के लोकसभा चुनावों में आरएसएस और बीजेपी के बीच अनबन ने बीजेपी की सीटें घटा दीं और पार्टी 240 सीटों तक सिमटकर बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। इस झटके ने आरएसएस और बीजेपी, दोनों को सोचने को मजबूर कर दिया और दोनों संगठन फिर से एक-दूसरे के नजदीक आने लगे। इसका नतीजा हुआ कि बीजेपी ने प्रादेशिक चुनावों में जबर्दस्त वापसी की। हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे राज्यों में बीजेपी की सरकार बन गई जहां उसकी जीत आसान नहीं थी। राजनीतिक विश्लेषक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरएसएस मुख्यालय के दौरे को आरएसएस-बीजेपी के बीच रिश्तों में सुधार की एक और बड़ी पहल के रूप में ही देखते हैं।

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