Success Story: कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, हो सकता है। एक पत्थर तो तबियत से उछालो।' ये लाइनें आज किशनगंज के अनिल बोसाक ने भी चरितार् कर दिया। अनिल के पिता फेरी लगाकर कपड़े बेचने का काम करते थे। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी अनिल की पढ़ाई और मेहनत डगमगाई नहीं। आंखों में कुछ कर गुजरने का जुनून, मील का पत्थर यूपीएससी की परीक्षा और दिन रात पढ़ाई। इसके बाद जब नतीजे आए तो पूरे गांव के लोग खुशी से झूम उठे। अनिल ने यूपीएससी 2020 के रिजल्ट में 45वीं रैंक हासिल कर अपने पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
अनिल बचपन से ही पढ़ने में होशियार थे। अनिल बिहार के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के खारुदह के रहने वाले हैं। उनके पिता गांव गांव फेरी लगाकर कपड़े बेचते थे। परिवार में दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। अनिल अपनी पढ़ाई स्कॉलरशिप के जरिए जारी रखें। जीवन में मुश्किल आने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
अनिल के पिता ने अपने बेटे को पढ़ने के लिए कर्ज लिया। धीरे-धीरे अनिल के पिता पूरी तरह से कर्ज के बोझ में दब गए लेकिन अपने बेटे की पढ़ाई जारी रखी। अनिल ने भी अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए हर संभव कोशिश करते रहे। अनिल ने यूपीएससी 2020 के रिजल्ट में 45वीं रैंक हासिल कर गांव का नाम रोशन कर दिया। इससे पहले वे जब परीक्षा में बैठे तो उन्हें यूपीएससी 2019 में 616 रैंक मिली। इस रैंक से वे संतुष्ट न हुए और अगले साल का इंतजार करने लगे।
आईएएस बनने का ख्वाब देखने वाले अनिल चार भाइयों में दूसरे नंबर के बेटे हैं। अनिल का पूरा परिवार किशनगंज के नेपालगढ़ कॉलोनी में रहता है। अनिल बोसाक के पिता संजय बोसाक फेरी का काम करते थे। माली हालत खराब रहने के बावजूद उन्होंने बेटे को पढ़ाया। अनिल की सफलता के बाद उनके परिवार और शहर में खुशी का माहौल है।
अनिल का चयन वर्ष 2014 में आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग के लिए हुआ था। अनिल ने 8वीं तक की पढ़ाई किशनगंज शहर के ओरियेंटल पब्लिक स्कूल से की, तो वर्ष 2011 में अररिया पब्लिक स्कूल से मैट्रिक पास किया। इसके बाद बाल मंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल किशनगंज से 12वीं पास किया। आज अनिल सबके लिए प्रेरणा बन चुके हैं।