Success Story: कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ शख्स बन गया किसान, आज 4.44 करोड़ रुपये का है टर्नओवर

Success Story: भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। लेकिन यहां खेती में खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल भरपूर मात्रा में होता है। जिससे फसल केमिकल युक्त हो जाती है। यह सेहत के लिए हानिकारक होती है। यह सीन जब MBA ग्रेजुएट दीपक ने देखा तो उन्होंने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर खेती करने लगे। 

Jitendra Singh
पब्लिश्ड8 Oct 2025, 06:09 AM IST
Success Story: दीपक देश में केमिकल मुक्त खेती और प्रोसेसिंग के लिए काम कर रहे हैं।
Success Story: दीपक देश में केमिकल मुक्त खेती और प्रोसेसिंग के लिए काम कर रहे हैं। (The Better India)

Success Story: आजकल के इस अर्थयुग में पढ़े-लिखे लोग भी खेती की ओर रूख कर रहे हैं। कुछ ऐसे ही MBA कर चुके दीपक सभरवाल हैं। 49 साल के दीपक ने साल 2017 में अपना 20 साल का कॉर्पोरेट करियर छोड़कर दिया था। इसके बाद दीपक ने ऑर्गेनिक खेती को अपनाने का फैसला किया। दिसंबर 2018 में उन्होंने अपनी कंपनी रजिस्टर की। आज इस कंपनी का कारोबार करोड़ों में पहुंच गया है। दीपक ने कभी खेती नहीं की थी। इसके बावजूद उन्होंने खेती को ही अपनी जीविका का साधन बनाया।

द बेटर इंडिया में छपी खबर दीपक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम, ICMA और MBA की डिग्री हासिल की। इसके बाद दीपक ने टाटा, पेप्सी और जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) जैसी दिग्‍गज कंपनियों में दो दशकों से ज्‍यादा समय तक काम किया। लेकिन, नियति उन्हें कॉरपोरेट मीटिंग्‍स और पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन (पीपीटी) से दूर राजस्‍थान के पुष्‍कर में अरावली की पहाड़ियों के बीच ले गई। वहां उनकी कुछ खेती थी। दीपक ने यहां ऑर्गेनिक खेती करना शुरू कर दिया।

अर्थी टेल्‍स ऑर्गेन‍िक फर्म की स्थापना

दीपक ने अर्थी टेल्‍स ऑर्गेन‍िक (Earthy Tales Organic) फर्म की स्थापना की। वो इस कंपनी के संस्थापक और सीईओ हैं। यह देश में केमिकल मुक्त खेती और प्रोसेसिंग के लिए काम करती है। दीपक को कॉर्पोरेट की नौकरी रास नहीं आ रही थी। वो अपनी पत्नी के साथ हर वीकेंड दिल्ली से राजस्थान के पुष्कर जाते थे। पुष्कर में ही उनकी कुछ खेती थी। वो अपना वीकेंड खेतों में ही गुजारते थे। एक बार दीपक ने देखा कि उनके खेत में जो कीटनाशक इस्तेमाल हो रहा है, उसमें जहर शब्द लिखा हुआ है।

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दीपक यहीं से समझ गए कि यह जहर पहले मिट्टी में जाएगा। इसके बाद फसलों के जरिए किसी के थाली तक पहुंच जाएगा। उसी समय उनकी मां को कैंसर हो गया था। ऐसे में दीपक ने यह ठान लिया कि अब वह ऑर्गेनिक खेती करेंगे। फिर उन्होंने पुष्कर में ही ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दी।

पुष्कर में जैविक खेती

साल 2018 में दीपक ने पुष्कर में ही अपनी कंपनी अर्थी टेल्स की शुरुआत की। इस कंपनी के जरिए वो मोरिंगा, आंवला, नींबू और चीकू की फसलें उगाई जाती हैं। इसके अलावा उनकी कंपनी हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के किसानों से ऑर्गेनिक उपज भी खरीदती है। बिचौलियों को खत्म करके किसानों से 15 - 20% ज्यादा कीमत दी जाती है।

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आज उनकी कंपनी में 50 फीसदी महिलाएं काम करती हैं। दिल्ली-NCR में 500 परिवारों और पूरे भारत में 10,000 लोगों को जैविक उत्पाद पहुंच रहे हैं। दीपक का कहना है कि जैविक खेती मिट्टी, पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि मेहनत और सही मकसद से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

करोड़ों में कंपनी का टर्नओवर

वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी का टर्नओवर 4.44 करोड़ रुपये रहा। इसके साथ ही इस साल कंपनी को उम्मीद है कि 7-8 करोड़ रुपये की कमाई बढ़ेगी। उनके प्रोडक्‍ट पोर्टफोलियो में 135 से ज्‍यादा आइटम शामिल हैं। इनमें फल-सब्जियों से लेकर बाजरा, दालें, तेल और बेकरी उत्पाद तक शामिल हैं।

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