
Success Story: कहते हैं कि 'काम करो ऐसा कि एक पहचान बन जाए, हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए, यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है, जिंदगी जियो इस कदर कि मिसाल बन जाए।' कुछ ऐसा ही राजस्थान के पवन कुमार प्रजापत मिसाल बन गए। पवन ने हालात से लड़कर वह मुकाम हासिल किया है कि आज भी लोग उनके संघर्ष और जज्बे को सलाम करते हैं। राजस्थान के बाड़मेर जिले के निवासी पवन कुमार प्रजापत साल 2021 में RAS एग्जाम में 170वीं रैंक हासिल की थी। पवन कुमार ने इस रैंक को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। उनके RAS बनने की कहानी ने बहुत सारे लोगों को प्रेरणा दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, RAS पवन कुमार प्रजापत का जीवन बचपन से ही कठिनाइयों से भरा रहा। सरकारी स्कूल से पांचवीं क्लास तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति संभाली और काम करना शुरू कर दिया। 10th तक पढ़ाई के दौरान वह गांव में सब्जियां बेचते थे जिससे उनका घर चलता था। स्कूल की छु्ट्टी के दौरान उन्हें जो काम मिलता वहीं कर लेते।
10वीं क्लास तक आते-आते पवन का संघर्ष और बढ़ गया। घर खर्च चलाने के लिए पवन ने सब्जी बेचना शुरू कर दिया। एक समय ऐसा भी था जब पढ़ाई करना मुश्किल हो गया था। इसके अलावा इंग्लिश के डर रही-सही कसर पूरी कर दी। इस दोहरी मार से पवन घबरा गए और पढ़ाई छोड़ दी।
पढ़ाई छोड़ने के बाद पैसा कमाकर घर का खर्च चलाना था। पवन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि यह 2007-8 का साल था, जब वे एक फैक्ट्री में लोगों को खाना-खिलाने का काम करते थे। हाथ में एक बाल्टी लेकर खाना-खिलाते थे। पूरा दिन मेहनत करने के बाद 50 रुपये दिहाड़ी मिलती थी।
12th के बाद उन्होंने प्राइवेट से BA की पढ़ाई तैयारी की और 2012 में आर्मी में चपरासी की नौकरी मिल गई, लेकिन उन्होंने जॉइन नहीं किया। इसके बाद 2013 में रेलवे में गनमैन और 2014 में पटवारी पद पर चयन हुआ। जिसके बाद उन्होंने RAS की तैयारी शुरू कर दी।
साल 2016 में एलआरओ पद पर चयन के बावजूद उनका सपना RAS बनने का था। 2018 के फर्स्ट एटेम्पट में सफलता नहीं मिली लेकिन हार न मानते हुए उन्होंने मेहनत जारी रखी और 2021 की भर्ती परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल की। पवन प्रजापत बताते हैं कि उनका बचपन कठिनाइयों भरा रहा है। उनके माता-पिता किसान और निरक्षर हैं। हर इंसान की अलग-अलग परिस्थितियां होती हैं लेकिन ऐसे हालात में भी इंसान को टूटना नहीं चाहिए।