
Success Story: खेती में इन दिनों कीटनाशक के नाम पर कई केमिकल युक्त दवाओं का इस्तेमाल होता है। बहुत से लोग इसे खाद कहते हैं, लेकिन यह खाद सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती है। खेती में ज्यादा खाद के इस्तेमाल से कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। आज हालत ये हो गई है कि इलाज के लिए 'कैंसर ट्रेन' भी चलने लगी है। ऐसे में बहुत से लोग ऑर्गेनिक खेती की ओर रूख कर रहे हैं। कुछ ऐसे ही उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के अकबरपुर तहसील के रोशनगढ़ की कांती देवी प्राकृतिक खेती कर पूरे जिले में आदर्श बन गईं हैं।
कांति देवी की मेहनत को देखते हुए राज्यपाल भी सम्मानित कर चुके हैं। कांति देवी गाय के गोबर और मूत्र से खाद तैयार करती हैं। इसे वो अपने खेतों में कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल करती हैं। इससे उनकी खेती में आय बढ़ गई। कांती देवी स्वयं खेती करने के साथ - साथ मास्टर ट्रेनर के रूप में करीब 2000 किसानों को प्रशिक्षित भी कर चुकी हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 017 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से कृषि सखी बनकर अपने सफर की शुरुआत की। पति अरुण के साथ मिलकर उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया। मुख्य रूप से धान, गेहूं और सब्जियां उगानी शुरू कर दी है। इसके बाद प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलना शुरू हुआ तो जिले की कार्यदाई संस्था श्रीराम सॉल्वेंशन एक्सट्रैक्शन और कृषि विज्ञान केंद्र पांती से प्रशिक्षण प्राप्त किया। साल 2023 से पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती शुरू कर दी। इस विधि से खेती करने से उन्हें उपज के एवज में बेहतर कीमत मिल रही है। कांति देवी ने बताया कि आज हम हरी सब्जियों की खेती गाय के गोबर और गोमूत्र से बने तरल जीवामृत का छिड़काव करके बिल्कुल शुद्ध और देसी तरीके से कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हम समूह से जुड़े हैं। आज 500 से अधिक महिला किसान काम कर रही हैं। वहीं हम कृषि विज्ञान केंद्र से भी जुड़े हुए हैं। हम अंबेडकर नगर कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों की गोष्ठी-चौपाल और किसान पाठशाल के जरिए बिना केमिकल और फर्टिलाइजर के इस्तेमाल किए खेती करने के लिए ट्रेनिंग और जागरूक अभियान चलाती हैं। कांति देवी का कहना है कि खेती में फर्टिलाइजर का प्रयोग करने से जमीन बंजर होती जा रही है। लेकिन बहुत से किसान कम समय में ज्यादा मुनाफ कमाने के चक्कर में केमिकल युक्त खेती कर रहे हैं, जिससे आने वाले में समय में बहुत घातक परिणाम सामने आ सकते हैं।
कांती देवी बताती हैं कि मुख्य रूप से भिंडी, लौकी, कद्दू, नेनुआ, करेला और अन्य सब्जियों की खेती करती हैं। छह गाय भी पाल रखी हैं, जिनमें गिरी और साहीवाल नस्लें शामिल हैं। इससे उनकी हर महीने मोटी कमाई हो जाती है। इससे पहले कांति देवी के लिए खेती करना किसी सिर दर्द से कम नहीं था। अब वो प्राकृतिक खेती के जरिए बंपर कमाई कर रही हैं।