Success Story: रोजाना 8 घंटे की मजदूरी, टूटे फोन से की नीट की तैयारी, पढ़िए मजदूर से डॉक्टर बनने का सफर

Success Story: सरफराज पश्चिम बंगाल के गरीब और साधारण परिवार से आते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए परिवार का पेट पालने के लिए 21 साल के सरफराज ने मजदूरी की। वो रोजाना 8 घंटे लेबर का काम करते थे। काम भी ऐसा की कमर जो कमर तोड़ दे। इसके बाद रात में पढ़ाई करते थे।

Jitendra Singh
अपडेटेड30 Sep 2025, 06:01 AM IST
Success Story: शेख सरफराज ने बिना किसी कोचिंग के नीट की परीक्षा पास की है।
Success Story: शेख सरफराज ने बिना किसी कोचिंग के नीट की परीक्षा पास की है। (NDTV)

Success Story: हर युवा का सपना होता है कि वह पढ़-लिखकर एक कामयाब आदमी बने और अपने परिवार का नाम रोशन करे, लेकिन कई लोगों को उनके घर के हालात आगे बढ़ने से रोक देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो हर मुश्किल को पार कर कामयाबी को हासिल करके ही दम लेते हैं। अब ऐसा ही एक वाकया सामने आया है, जो आज के नौजवान को नई प्रेरणा देने का काम करता है। इस बात को पश्चिम बंगाल के शेख सरफराज ने सच कर दिखाया है। उन्होंने तमाम कठिनाइयों के बाद भी हार नहीं मानी और नीट जैसी कठिन परीक्षा को बिना कोचिंग पास किया। आपको बताते हैं सरफराज की नीट सफलता की कहानी..

गरीब और साधारण परिवार से आने वाले सरफराज पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर के रहने वाले हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए परिवार का पेट पालने के लिए 21 साल के सरफराज ने मजदूरी की। वो रोजाना 8 घंटे लेबर का काम करते थे। काम भी ऐसा की कमर जो कमर तोड़ दे। वो सिर पर ईंटा ढोने का काम करते थे। इससे उन्हें 300-400 रुपये रोजाना के मिलते थे। सरफराज अपनी मां और छोटे भाई-बहन का पालन-पोषण करने के लिए अपने पिता के साथ मजदूरी करते थे।

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दिन में मजदूरी, रात में पढ़ाई

टूटी छत के नीचे रहने वाले 21 साल के सरफराज ने लोगों के घर बनाए। रोज 200 से 400 ईंटें ढोनी पड़ती थी, रेत उठाना पड़ता था। इस काम से भले ही कमर टूट जाती हो, लेकिन हौसला उतनी ही मजबूत हो गया। दिन भर मजदूरी करने के बाद रात में सरफराज पढ़ाई करते थे। सरफराज के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके पास स्मार्टफोन भी नहीं था। तब उन्होंने अपने शिक्षक से टूटी स्क्रीन वाला फोन उधार लिया। उनके पास कोचिंग जाने का बजट नहीं था। इसलिए उन्होंने उसी टूटी स्क्रीन वाले फोन पर ऑनलाइन लेक्चर अटेंड किए। 8 घंटे की मजदूरी से लौटने के बाद वह 1 घंटे आराम करते थे। फिर नीट का रिवीजन और पिछले सालों के पेपर हल करते थे। सरफराज और उनकी मां का सपना था कि वे डॉक्टर बनें। लेकिन उनके आस-पास के लोगों ने उनका मजाक उड़ाने में कोई कमी नहीं रखी थी।

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720 में से मिले कुल 677 नंबर

सरफराज ने नीट परीक्षा को बिना कोचिंग गए पास किया। सरफराज ने साल 2024 में नीट परीक्षा को दिया और 720 अंकों में से कुल 677 अंक हासिल किए। अब वो नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि डॉक्टर बनने के बाद वो गरीब लोगों का फ्री में इलाज करें। सरफराज की मजदूर से लेकर मेडिकल कॉलेज तक की उनकी कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है।

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