रोहिंग्या मुसलमानों पर झूठ दावों से सुप्रीम कोर्ट भी तंग आ गया। उसने अवैध रूप से भारत आए रोहिंग्याओं को वापस उनके देश भेजने से रोकने के लिए याचिकाकर्ता के वकील की जमकर फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने वकील कॉलिन गोंजाल्वेस को कहा कि आप कहानियां गढ़ने में माहिर हैं और बार-बार बिना सबूत के तरह-तरह की बातें करते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने साफ कहा कि वो रोहिग्याओं को वापस उनके भेजने पर कोई रोक नहीं लगाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के दावों में कोई दम नहीं है क्योंकि सारी मनगढ़ंत घटनाओं के आधार पर दिए गए बयान हैं। बेंच ने कहा कि वह तीन जजों की बेंच से पारित 8 मई के आदेश के खिलाफ कोई और आदेश पारित नहीं करेगा। उस आदेश में भी रोहिंग्याओं को लेकर एक अन्य मामले में कोर्ट से राहत की मांग की थी। उस मामले की सुनवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच की अगुवाई जस्टिस सूर्यकांत ने ही की थी।
ताजा याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्यों बार-बार एक जैसे आरोप लगाए जाते हैं? उन्होंने कहा की याचिकाकर्ता इन काल्पनिक आरोपों के पक्ष में सबूत पेश करे। बेंच ने याचिका में किए गए दावों की विश्वनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा, 'हर दिन आप एक नई कहानी लेकर आ जाते हैं। सारी कहानियां बहुत करीने से गढ़ी होती हैं। कृपया रिकॉर्ड पर तथ्य पेश करें।' उसके बाद बेंच ने एक बड़ी बात कही। उसने कहा, 'जब देश ऐसे मुश्किल हालात से गुजर रहा है तब आप इस तरह की काल्पनिक कहानियां गढ़ते हुए याचिका पर याचिका डाल रहे हैं।'
दिल्ली के दो रोहिंग्या मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर दावा किया है कि उनकी बिरादरी के लोगों को बायोमीट्रिक डेटा कलेक्शन के नाम पर उठाया ले जाया गया और फिर आंखों में पट्टी बांधकर उन्हें नौसेना की जहाज से पोर्ट ब्लेयर के रास्ते डिपोर्ट कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने यहां तक कहा कि 43 रोहिंग्याओं को समुद्र में छोड़ दिया गया है जिनमें बच्चे, बूढ़े और गंभीर रूप से बीमार लोग शामिल थे।
सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्वेस ने इन याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (UNHRO) ने इस मामले का संज्ञान लिया है और जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, 'वक्त हमारे खिलाफ है। कृपया अगले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई कीजिए। यूएन रिपोर्ट कहता है कि उन्हें (रोहिंग्याओं को) उठाया गया और भेज दिया गया।'
सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि विदेशी रिपोर्ट को भारत की संप्रभुता के ऊपर तवज्जो नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कहा कि आप कोई भी सबूत रिकॉर्ड पर रख सकते हैं, लेकिन वो हमारे देश की संप्रभुता से बड़े नहीं हो सकते। एक आंकड़े के मुताबिक, करीब 7 लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से भागकर ज्यादातर बांग्लादेश गए हैं। इनमें एक बड़ी संख्या भारत में भी आई है।